हाईकोर्ट का आदेश : वाल्मीकि समाज के श्मशान पर भू-माफिया के कब्जे को चार सप्ताह में हटवाएं

आदेश के पालन में कलेक्टर ने नपा सीएमओ से मांगी रिपोर्ट

भिण्ड, 18 अगस्त। भू-माफिया ने वाल्मीकि समाज के श्मशान पर कब्जा कर लिया है। ग्वालियर हाईकोर्ट की डबल बेंच ने भिण्ड कलेक्टर और नगरपालिका सीएमओ को कब्जे से वाल्मीकि समाज के श्मशान को चार सप्ताह में मुक्त कराने की कार्रवाई का आदेश दिया है। हाईकोर्ट के इस आदेश के पालन में पिछले दिनों ही कलेक्टर सतीश कुमार एस ने नगरपालिका सीएमओ से रिपोर्ट मांगी है। हाईकोर्ट के इस निर्णय के बाद से भिण्ड शहर का वाल्मीकि समाज राहत महसूस कर रहा है। यहां बता दें, शहर में वाल्मीकि समाज का निराश्रित भवन के बगल से नाले के पास सरकारी भूमि पर 100 वर्ष पुराना श्मशान है। इस श्मशान पर कब्जा किया गया है।
हाईकोर्ट की ग्वालियर खण्डपीठ में संतोष पुत्र विश्वनाथ निवासी 17वीं बटालियन के पास भिण्ड की ओर से दायर की गई याचिका में बताया गया है कि एक जून 2015 को एक दबंग व्यक्ति ने शासकीय सर्वे के 2092 रकवा 0.105 हेक्टेयर, सर्वे क. 2656 रकवा 0.575 हेक्टेयर जो कि शासकीय भूमि है। सर्वे नं.2095 पर वाल्मीकि समाज का मरघट बना हुआ है। इस भूमि पर उनके परिवार के लोगों द्वारा वाल्मीकि समाज के मरघट पर कब्जा किया जा रहा है। यहां खड़े हरे-भरे पेड़ों को भी कटवाया है। राजस्व अधिकारियों से शिकायत की गई, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। हाईकोर्ट को बताया गया कि इस जमीन पर वाल्मीकि समाज करीब 100 वर्ष से अंतिम संस्कार करता आ रहा है। आवेदक संतोष की ओर से कलेक्टर से की गई शिकायत में बताया गया था कि उक्त व्यक्ति द्वारा अपने 10-15 साथियों के साथ जोर-जबरदस्ती से वाल्मीकि समाज के श्मशान पर कब्जा करने का प्रयास किया जा रहा है। विरोध करने पर पूर्व विधायक की ओर से डराया धमकाया जाता है।

कार्रवाई और जुर्माने का प्रावधान

कलेक्टर से की गई शिकायत में आवेदक ने बताया है कि मप्र भू राजस्व संहिता 1959 की धारा 248 के अंतर्गत यह प्रावधान है कि कोई भी व्यक्ति, जो अनाधिकृत रूप से दखल रहित भूमि आबादी, सेवा भूमि या किसी ऐसी अन्य भूमि पर जो धारा 237 के अधीन किसी विशेष प्रयोजन के लिए पृथक रखी गई हो या किसी ऐसी भूमि पर जो राज्य की या प्राधिकारी निगमित निकाय या राज्य की किसी अधीनियमिती के अधीन गठित या स्थापित संस्था की संपत्ति हो, कब्जा कर लेता है या उस पर कब्जा बनाए रखता है तो तहसीलदार के आदेश द्वारा संक्षिप्त: बेदखल किया जा सकेगा और कोई भी फसल भूमि पर खड़ी हो तथा कोई भवन या अन्य निर्माण कार्य जो उसके द्वारा भूमि पर कर लिया गया है, यदि ऐसे समय के भीतर जैसा कि तहसीलदार नियत करे उसके द्वारा नहीं हटाया जाता है तो अधिगृहित किया जा सकेगा। तहसीलदार ऐसी भूमि के लिए स्वीकृत दर से दोगुनी दर से अधिगृहित भूमि के बाजार मूल्य का 20 प्रतिशत जुर्माना लगा सकेगा।