शांतिनाथ की भक्ति में रंगा नगर, 500 भक्तों ने की भगवान की महाअर्चना, चढ़ाए 120 अर्घ
भिण्ड, 13 दिसम्बर। जैन धर्म के 16वें तीर्थंकर क्षेत्र के बड़े बाबा देवाधिदेव श्री 1008 शांतिनाथ भगवान की भक्ति रंग में भिण्ड नगर रंगा है। परम पूज्य जिनागम पंथ प्रवर्तक भावलिंगी संत आचार्य श्री 108 विमर्श सागर महामुनिराज के रजत विमर्श संयमोत्सव के पावन अवसर पर आयोजित श्री 1008 शांतिनाथ दिव्यचना मंगलवार को श्री महावीर कीर्तिस्तंभ परिसर में पूज्य आचार्यश्री के ससंघ सानिध्य में महोत्सव के साथ सानंद हुई। 500 इन्द्र-इन्द्राणी और हजारों भक्तों ने भगवान शान्तिनाथ की महा आराधना सुख-शांति समृद्धि की भावना से मंत्रोच्चार पूर्वक 120 अर्घ समर्पित करते हुए आचार्यश्री ने कराई।
इस अवसर पर जैन तीर्थ श्री सम्मेद शिखर को पर्यटक स्थल घोषित करने की साजिश के खिलाफ जैन समाज को जागृत करते हुए आचार्य श्री विमर्श सागर मुनिराज ने विशाल सभा में बैठे हुए हजारों श्रृद्धालुओं को संबोधित करते हुए अपने प्रवचनों में कहा कि हम अपने परिवार की धरोहर को सम्हालते हैं, अपने पुरखों की धरोहर को संभालते हैं। हम जिस कुल में जन्मे हैं, जिस कुल के संस्कारों से हम पले बढ़े हैं, उस जैन कुल की शाश्वत धरोहर तीर्थराज सिद्धक्षेत्र सम्मेद शिखर जी को सम्हालने की आवश्यकता है। हम जब भी तीर्थराज सम्मेद शिखर की वंदना के लिए जाएं तो मात्र पर्यटन के लिए न जाएं, अपितु धर्म भावना के साथ स्व कल्याण की भावना लेकर जाएं। आज आपकी भावनाएं कम हुईं तो सरकार की निगाह हमारे पवित्र तीर्थ पर पड़ी और सम्मेद शिखर जी को पर्यटक स्थल बनाने की साजिश की जा रही है। आज प्रत्येक श्रावक का कर्तव्य है कि अपने तीर्थभूमि की रक्षा में सरकार का विरोध करे। अपनी धरोहर की रक्षा करना हमारा परम कर्तव्य है। इस हेतु राजधानी दिल्ली में हमारे अनुज मुनि विहर्ष सागर जी द्वारा महा-आयोजना की जा रही है हमारी अनुमोदना उनके साथ है।
संध्या बेला में अखिल भारतीय विराट कवि सम्मेलन
रजत विमर्श संयमोत्सव की मंगल बेला में मंगलवार को संध्या बेला में देश के मूर्धन्य कवियों द्वारा अनेक विधाओं पर अद्भुत रचनाएं जनसमूह के बीच रखी गईं। अखिल भारतीय विराट कवि सम्मेलन में देश के सुप्रसिद्ध कवि श्री कमलेश जैन बसंत, रुचि चतुर्वेदी, संजय पाण्डे, अखिलेश द्विवेदी आदि द्वारा आयोजन को असीम ऊंचाईयां प्रदान की गई।
दीक्षा भूमि पर हो रहा है दीक्षा का रजत महोत्सव
14 दिसंबर 1998 को धर्म नगरी भिण्ड की भूमि पर परम पूज्य आचार्य श्री विमर्श सागर महामुनिराज ने अपने गुरु आचार्य श्री विराग सागर महामुनिराज से मुनिदीक्षा ग्रहण की थी। आज 14 दिसंबर 2022 को पूज्य आचार्यश्री अपनी दीक्षा के 25वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। गुरुदेव के संयम का रजत महोत्सव उन्हीं की दीक्षा भूमि भिण्ड नगरी में मनाया जा रहा है। श्री महावीर कीर्तिस्तंभ परिसर में सुबह 11 बजे से दीक्षा का रजत महोत्सव प्रारंभ होगा। जिसमें देश के विभिन्न स्थानों से भक्तगण आयोजन में सम्मिलित होंगे।