अतिथि, प्रकृति, संस्कृति का पोषण यज्ञ के समान है : पुण्डरीक महाराज

अटेर रोड स्थित स्वरूप विद्या निकेतन में चल रही है श्रीमद् भागवत कथा

भिण्ड, 06 दिसम्बर। अगर भारत को जानना है तो भागवत कथा को जानो, आप भारत को जान जाओगे। भागवत कथा में पूरा भारत दर्शन है। भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पूजा करवा कर संदेश दिया है कि हमें अतिथि, प्रकृति व संस्कृति इन तीनों का पोषण करना चाहिए। यह एक यज्ञ के समान है। गोवर्धन पर्वत की पूजा अर्चना करवा कर उन्होंने पर्यावरण व संस्कृति का पोषण किया। इन्द्र का मान मर्दन कर संदेश दिया है कि आपके ऊपर भी भगवान है, मानव अपने जीवन में तीन को जान जाए, एक वह स्वयं, दूसरा परमात्मा, तीसरा जीवात्मा, उसका मोक्ष हो जाएगा। यह उद्गार कथा प्रवक्ता मन्माध्व गौड़ेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी ने अटेर रोड स्थित स्वरूप विद्या निकेतन स्कूल प्रांगण में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिवस कृष्ण बाललीला का वर्णन करते हुए व्यक्त किए।
उन्होंने कहा है कि आज-कल हमारे देश में एक प्रचलन चल रहा है कि किसी भी आयोजनों में भगवान की झांकियां बनाकर या छोटे-छोटे बच्चों को भगवान का स्वरूप बनाकर उनसे नाच कूद करवाते हैं, इससे आप क्या प्रदर्शित करना चाहते हो, भगवान केवल पूजन अर्चन व भाव में रहते हैं। कृष्ण तो कृष्ण ही हो सकते हैं, उनके सखा या दास कोई भी हो, लेकिन भगवान तो केवल एक ही परब्रह्म है, उसके स्वरूप को कभी भी सामान्य साधारण मंचों पर कभी भी प्रदर्शित नहीं करना चाहिए। इस मौके पर आयोजक श्रीमती कमला-श्रीनारायण शर्मा, डॉ. उमा-कौशल शर्मा श्रीमती शुभी विकास शर्मा सहित हजारों भक्तों ने कथा का रस पान किया।