किसानों की मण्डियों में लूट और मुख्यमंत्री गुजरात चुनाव में व्यस्त : जसविंदर सिंह

भिण्ड, 04 दिसम्बर। जब मुख्यमंत्री और प्रदेश सरकार के अनेक मंत्री गुजरात में डेरा डाल कर भाजपा के लिए वोट मांग रहे हैं, तब प्रदेश के किसान मण्डियों में लूट रहे हैं। माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने उक्त बयान जारी करते हुए कहा है कि प्रदेश की मण्डियों में धान, बाजरा और ज्वार की फसलें इफरात में आ रही हैं, मगर किसानों की फसल निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं खरीदी जा रही है। किसानों को औने पौने दामों पर अपनी फसल को बेचना पड़ रहा है।
माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने कहा कि धान उत्पादक किसान अपना धान अधिकतम 1800 रुपए में बेचने पर मजबूर हैं, जबकि मोटे धान का समर्थन मूल्य 2040 रुपए प्रति क्विंटल है। इसी तरह बाजरे का भाव भी किसानों को 1900 रुपए से ज्यादा नहीं मिल रहा है जबकि बाजरे का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2350 रुपए प्रति क्विंटल है। तीसरी फसल ज्वार की एमएसपी 2970 रुपए प्रति क्विंटल है और किसानों को अपनी फसल 2650 रुपए पर बेचना पड़ रही है। उन्होंने कहा कि यह परिस्थिति प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा पैदा की गई है। एक तो सरकारी खरीद ही एक दिसंबर से शुरू हुई है, दूसरा जिस प्रकार पिछली बार किसानों से बाजरा खरीदने के दो महीने बाद वापस कर दिया गया था, उससे किसानों में भय है कि कहीं इस बार भी ऐसा न हो जाए।
जसविंदर सिंह ने कहा कि किसानों के इस भय को दूर करने की बजाय सरकार ने चुप्पी साध ली है। किसान डर के मारे आड़तियों और दलालों को औने पौने दामों पर अपनी फसल बेच रहे हैं। यह अजीब बात है कि जब मध्यप्रदेश के किसान लुट रहे हैं, तब मुख्यमंत्री गुजरात की जनता को सब्जबाग दिखा रहे हैं। माकपा नेता ने मांग की है कि राज्य सरकार को पहल कर इस लूट को रोकना चाहिए। उन्होंने याद दिलाया है कि मंदसौर गोलीकाण्ड के बाद मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि यदि कोई व्यापारी न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम में किसानों की फसल खरीदता है, तो उसके खिलाफ मुकद्दमा दर्ज कर जेल भेजा जाएगा, किंतु एक भी व्यापारी खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे साफ है कि यह सरकार किसानों की नहीं, बल्कि किसानों को लूटने वालों की सगी है। माकपा ने इस लूट को रोकने की मांग की है।