प्रकृति मानव समूह से कई गुना ताकतबर, उसे पूजने के साथ प्रदूषण से भी बचाएं : भैयाजी जोशी

विजय संकल्प शिविर के अंतिम दिन प्रकटोत्सव कार्यक्रम को किया संबोधित

भिण्ड, 04 अक्टूबर। प्रकृति मनुष्य से मानव समूह से कई गुना ताकतबर है, हमें उसकी ताकत का सम्मान करना है, उसका बंदन करना है, ईश्वर तुल्य पूजनीय है, लेकिन हमने क्या किया, उसी को नष्ट करने में जुट गए। भूमि, नदियों के साथ खिलवाड़ किया, एक ओर पूजते हैं दूसरी ओर उसे गंदा कर प्रदूषित कर उसके अस्तित्व को ही मिटाने में लग गए, नतीजा 15-20 सालों में कई खतरनाक बीमारियां बढ़ी हैं, जो मानव जीवन के लिए ही खतरा बन गईं। यह बात राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अखिल भारतीय मार्गदर्शक मण्डल के सदस्य एवं पूर्व सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने विजय संकल्प शिविर के अंतिम दिन सोमवार को प्रकटोत्सव कार्यक्रम में कही। इस अवसर पर विभाग संघचालक नवल सिंह भदौरिया, जिला संघचालक रामशरण पुरोहित और चंबल ऑयल मिल के संचालक अरुण जैन मंचासीन रहे।
भैयाजी जोशी ने कहा कि भूमि को मां भी कहते हैं, उसे पूजते भी हैं, लेकिन उसी मां स्वरूप भूमि मे रासायनिक खाद डालते समय यह नहीं सोचते कि हम उसका शोषण कर रहे है। आज यह समस्या वैश्विक है, लेकिन इसका रास्ता भारत के पास है और वह रास्ता इस प्रकृति को देवता मानकर इसको प्रदूषित होने से बचाएं, यह संकल्प समाज को नहीं, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति को लेना चाहिए। आज की लड़ाई रावण नहीं बल्कि अपने ही समाज जीवन में जो लगी हुई आदतें और आया हुआ क्षरण है उसके साथ संघर्ष करते हुए अपना जीवन सुमंगल करने का प्रयास करें, इससे भारत विश्व के मंच पर गौरावान्वित ही नहीं होगा, बल्कि विश्व को भी सही रास्ते पर चलाने की प्रेरणा व बल देकर विश्वगुरू के पथ पर अग्रसर होगा, हमें एसे भारत का निर्माण करना है। उन्होंने टूटते परिवारों की बिगड़ती पारिवारिक व्यवस्था पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि परिवार विघटन के संकट पर प्रत्येक को सोचना पड़ेगा, हम आधुनिकता में अपनी संस्कृति को न भूले। संयमित जीवन सिर्फ संयुक्त परिवार में होता है। उन्होंने युवा पीढ़ी में नशे की लत और महिला सुरक्षा को लेकर कहा कि आज हमारा समाज कहां जा रहा है।


भैयाजी जोशी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी भी स्वरोजगार व स्वावलंबन पर जोर दे रहे हैं। हमें अपनी स्थानीय उत्पादन क्षमता को बढ़ाना होगा, ताकि जिले की आवश्यकता जिले में ही पूरी हो, तब सही मायने में स्वावलंबन होगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 1925 में हेडगेवार ने हिन्दू समाज को संगठित करने के लिए संघ कार्य प्रारंभ किया। तब लोगों को विश्वास नहीं होता था कि हिन्दू संगठित होगा। उस समय की सामाजिक परिस्थिति को देखते हुए महात्मा गांधी ने कहा कि हिन्दू भय ग्रस्त है। लोकमान्य तिलक ने कहा कि हमें अच्छा राज्य नहीं अपना राज्य चाहिए। जब दुर्जन सक्रिय और सज्जन निष्क्रिय हो जाते हैं तभी चाणक्य ने कहा कि इस देश को नुकसान सज्जनों के निष्क्रीयता के कारण हुआ है। सज्जन को शक्तिशाली और शक्तिशाली को सज्जन बनना होगा। हम किसी पर आक्रमण नहीं करना चाहते हैं। बल्कि शक्तिशाली इसलिए बनना चाहते हैं ताकि हम पर भी कोई आक्रमण करने की नहीं सोचे। इतिहास गवाह है कि हम भारत के बाहर कभी शस्त्र लेकर नहीं गए। बल्कि शास्त्र लेकर गए। हमारा मौलिक चिंतन ही विश्व का कल्याण है। हमें विश्व के मंच पर मार्गदर्शन करने वाला भारत खड़ा करना है। उन्होंने कहा कि आज भारत रक्षा के क्षेत्र में स्वावलंबी बन रहा है। कभी हम रसिया, इजराइल पर निर्भर थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। भारत की शक्ति विश्व के मंच पर खड़ी हो रही है।
इससे पूर्व कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अरुण जैन ने संघ कार्य की सरहाना करते हुए उसकी राष्ट्रवादी विचारधारा का अभिनंदन किया। इससे पहले जिला कार्यवाह गजेन्द्र सिंह कुशवाह ने तीन दिवसीय विजय संकल्प शिविर का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया और अंत में शिविर सह प्रबंधक ज्ञानेन्द्र भदौरिया ने आभार प्रकट किया।