नाशवान को अविनाशी की प्राप्ति में लगा दो : पाठक जी महाराज

अकोड़ा में चल रही नौ दिवसीय श्रीराम कथा का हुआ समापन

भिण्ड, 04 अक्टूबर। नगर परिषद अकोड़ा स्थित बड़ी जग्गा मन्दिर पर चल रही नौ दिवसीय श्रीराम कथा का सोमवार को नवरात्रि के अंतिम समापन हुआ।
इस अवसर पर कथा व्यास संत श्री अनिल पाठक जी महाराज ने कहा कि नाशवान को अविनाशी की प्राप्ति में लगा दो। शरीर, धन, पद, समय, सामथ्र्य सबको अविनाशी परमात्मा की प्राप्ति में लगा देना चाहिए। शिव जी कहते हैं- हे उमा इस जगत में एक भगवान के भजन के अलावा सबकुछ असत्य है, इसलिए सबका सब समय हमें भगवान की प्राप्ति में लगाना है। ये नियम है कि हम अपना समय जिस वस्तु में लगाएंगे वह हमें प्राप्त होगी। हम कर्म क्यों करते हैं? कहते हैं, कर्म तो स्वाभाविक हैं, उस कर्म में हमें निष्कामता जोड़ देनी है तो हमारा कल्याण हो जाएगा। कर्म तो प्रकृति के गुणों द्वारा किए जाते हैं, लेकिन अहंकार के वशीभूत होकर भ्रम से कर्म को अपने द्वारा किया जाना मानते हैं और यही बंधन है।


श्री पाठक जी महाराज ने कथा का उपसंहार करते हुए सार तत्व को बताते हुए कहा कि संसार में हर प्राणी अपनी कामना, ममता, भोग-विलास और अपनी स्वार्थ बुद्धि के कारण अतिशय दुखी है, इस दुख से छुटकारा पाने का एकमात्र उपाय है कि व्यक्ति अपने विकारों का त्याग करके उस सत्य स्वरूप ईश्वर की ओर उन्मुख हो जाना पड़ेगा और उसके लिए आवश्यकता है किसी ज्ञानी संत की, जिनकी शरण ही एकमात्र उपाय है इस संसार के सारे दुखों से छूटने के लिए। श्रीराम कथा समापन के अवसर पर अशोक वाटिका व श्रीराम दरबार की आकर्षक झांकियां लगाई गईं। रामकथा समाप्ति के बाद आरती और श्रोताओं, बाहर से आए साधु-संतों को भोजन-भण्डारा और विदाई दी गई।