राम का नहीं है वो नहीं है किसी काम का

श्रीमद् भागवत कथा में हुआ विराट उजास कवि सम्मेलन

भिण्ड, 25 सितम्बर। ‘अगर आकाश छूना हो पिता की छांव छू लेना’ सुरेश भारद्वाज शिक्षक व उनके भाईयों द्वारा पितृपक्ष में आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञानयज्ञ के मध्य में विराट उजास कवि सम्मेलन का आयोजन भारद्वाज मांगलिक भवन लहार चुंगी में किया गया। संचालन राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित साहित्यकार शिक्षक डॉ. सुनील त्रिपाठी निराला भिण्ड ने किया। भागवत पुराण के परीक्षित पूर्व सरपंच उमेश भारद्वाज ने अतिथि कवियों का सम्मान किया।
फिरोजाबाद से पधारे व्यंग्यकार मंजुल मयंक ने कहा, ‘पागल कुत्तों से बचना चाहता हूं मगर क्या करूं, जब काट लेते हैं तब पहचान पाता हूं।’ हरिहर सिंह लहार और शैलेश नारायण सिंह कुशवाह ने राष्ट्रवाद से ओत-प्रोत कविताएं सुनाकर श्रोताओं में जोश भर दिया। गजलकार किशोरीलाल बादल के मुक्तकों ने खूब गुदगुदाया, ‘गुलामी का तजुर्बा तो हसीनों से ही मिलता है।’ रौन से आए गीतकार डॉ. शिवेन्द्र सिंह शिवेन्द्र के सारगर्भित मुक्तकों पर जमकर तालियां बजीं, ‘अगर आकाश छूना हो पिता की छांव छू लेना।’ मिहोना के हास्य कवि हरिबाबू शर्मा निराला ने कहा कि बालम सरपंची जिन लडिय़ो। दोहाकार जितेन्द्र त्रिपाठी अमित के दोहों को भरपूर सराहना मिली। डॉ. सुनील त्रिपाठी निराला ने राम पर लिखी कविता पढ़ी तो पूरा वातावरण राममय हो गया, पावनी पुनीत पुण्यभूमि पूज्यधाम का। छीरसिंध वास सीय सोहे अंग वाम का।। एक बार ध्यान तो लगाओ श्रीराम का। राम का नहीं है वो नहीं है किसी काम का।। आचार्य अतुल शास्त्री मेंहदा ने भी काव्य पाठ किया। कार्यक्रम के अंत में सुखराम भारद्वाज, बृजेश भारद्वाज ने आगंतुकों का आभार व्यक्त किया। कवि सम्मेलन में राकेश बरुआ, कमलेश सेंथिया, राजमणि शर्मा, रामदत्त जोशी, विशाल भारद्वाज, विष्णु भारद्वाज, सोनू भारद्वाज सहित अनेक सुधी श्रोता उपस्थित थे।