एकात्म मानव दर्शन का पुण्य प्रसाद है सांस्कृतिक राष्ट्रवाद : डॉ. गुप्ता

पं. दीनदयाल की जयंती पर जन अभियान परिषद ने संपूर्ण जिले में किया संगोष्ठी का आयोजन

भिण्ड, 25 सितम्बर। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की अवधारणा एकात्म मानव दर्शन का पुण्य प्रसाद है। यदि हमें पं. दीनदयाल से प्रेरणा लेनी है तो यह मूल मंत्र अपनाना होगा। व्यक्ति का विकास ही राष्ट्रोदय और अंत्योदय है। यह बात वरिष्ठ समाजसेवी प्रखर वक्ता वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. सुशील गुप्ता ने कही। वे एमजेएस महाविद्यालय स्थित शहीद भवन सभागार में मप्र जन अभियान परिषद द्वारा पं. दीनदयाल की जयंती पर आयोजित संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। इस अवसर विषय विशेषज्ञ के रूप में वरिष्ठ समाजसेवी शैलेश नारायण सिंह, विद्यावती महाविद्यालय के प्राचार्य एवं समाजसेवी रामनानंद शर्मा, वरिष्ठ समाजसेवी श्रवण पाठक एवं प्रसिद्ध खेल प्रशिक्षक तथा समाजसेवी राधेगोपाल यादव सहित जन अभियान परिषद के जिला समन्वयक शिवप्रताप सिंह भदौरिया, समस्त मेंटर्स, नवांकुर संस्थाओं के प्रतिनिधि, प्रस्फुटन समितियों के प्रतिनिधि, सीएमसीएलडीपी अंतर्गत बीएसडब्ल्यू एमएसडब्ल्यू के छात्र छात्राएं मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन मेंटर भिण्ड नीरज शर्मा और विषय प्रवर्तन व आभार प्रदर्शन मेंटर अटेर मुदिता भारद्वाज ने किया।
स्थानीय एमजीएस कॉलेज स्तिथ शहीद भवन सभागार में दीप प्रज्वलन उपरांत कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। जिसमें वरिष्ठ शैलेश नारायण ने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय का व्यक्तित्व एक आदर्श व्यक्तित्व था, उन्होंने सदैव राष्ट्रहित की बात की, मुख्य चार विषय अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष पर उनके व्याखानों से जो सीख मिलती हैं वह अवर्णनीय है। ऐसे महान व्यक्तित्व का यदि हम अनुसरण कर सके तो निश्चित तौर पर इस राष्ट्र निर्माण में किसी भी तरह की कभी कोई बाधा नहीं आएगी। इसी बात को आगे बढ़ाते हुए सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर बोलते हुए प्राचार्य रामानंद शर्मा ने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय के कार्यों का यदि हमें अनुशरण करना है तो हमें उनकी विकास के मॉडल को अपनाना होगा। उन्होंने अंत्योदय और अंतिम व्यक्ति के विकास की जो बात कही है, उसको सच्चे मन से लागू करना होगा, तभी उनके सपने को साकार कर सकेंगे।
वरिष्ठ समाज सेवी श्रवण पाठक ने कहा कि मानव की सच्ची सेवा करना सबको एक समझना ही एकात्म मानववाद है, सारे द्वेष मिटाकर सच्ची सेवा करना ही एकात्म मानववाद है। दीनदयाल उपाध्याय ने एकात्म मानववाद की विस्तृत व्याख्या करते हुए मानव की सेवा को सर्वोपरि रखा है।
विशिष्ट अतिथि एवं मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए डॉ. सुशील गुप्ता ने कहा कि उनके बारे में जितना कहा जाए उतना कम है, वह सही मायने में स्वयं सेवक थे। पूर्ण रूप से स्वयं सेवक। उन्होंने उनके साथ गुजारे पलों को याद करते हुए कहा कि वह सारा काम स्वयं करते थे और कभी भी अपने जीवन में किसी भी प्रकार की गलती नहीं करते थे। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद एकात्म मानव दर्शन का पुण्य प्रसाद है। इसलिए हमें उनके जीवन से प्रेरणा लेनी होगी। अंतिम वक्ता के रूप में राधेगोपाल यादव ने कहा कि चूंकि मैं इस विषय का मर्मज्ञ तो नहीं हूं लेकिन मुख्य वक्ताओं के उद्बोधन के बाद बोलने को कुछ नहीं रह जाता है। फिर भी हमें चाहिए कि उनके बताए हुए आदर्शों पर चलते हुए हम राष्ट्र निर्माण में अपना सहयोग दें। आज उनके फोटो पर जिस तरह हम माला डाल रहे हैं, अब वक्त आ गया है कि उनके बताए गए आदर्श पर हम सब चलें।
इस अवसर पर जिला समन्वयक जन अभियान परिषद शिवप्रताप सिंह ने भी अपने विचार रखे और जन अभियान परिषद की आगामी भूमिका पर विस्तार से जानकारी दी। अंत में सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। परिषद ने प्रत्येक विकास खण्ड स्तर पर भी संगोष्ठी आयोजित की।