कौशल विकास एवं आत्मनिर्भर बनाने में कारगर होगी राष्ट्रीय शिक्षा नीति : डॉ. भावसार

भिण्ड, 18 सितम्बर। भारत की प्राचीन शिक्षा पद्धति विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास करती थी, किंतु अंग्रेजों द्वारा थोपी गई शिक्षा पद्धति हमे अपनी संस्कृति से दूर ले जाने वाली है, इसिलए हमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन की महती आवश्यकता है। उक्त उदगार विद्या भारती नगरीय शिक्षा के प्रांत प्रमुख डॉ. रामकुमार भावसार ने विद्या भारती द्वारा संचालित एवं समवैचारिक विद्यालय प्रमुखों की गोष्ठी में व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि हमारी नई शिक्षा नीति तकनीकी विकास एवं आत्म निर्भर बनाने वाली है, इसे ठीक से समझकर क्रियान्वयन की आवश्यकता है, जब इसका क्रियान्वयन होगा तो उसकी सार्थकता सामने आएगी तथा हमारी नई पीढ़ी की मनोदशा बदलेगी, क्योंकि इस शिक्षा नीति में केवल किताबी अध्ययन ही नहीं वल्कि जीवनोपयोगी एवं रोजगारोन्मुखी है। साथ ही यह हमारी संस्कृति से जोडृने वाली है।
गोष्ठी में आए विभिन्न विद्वतजनों ने भी अपने विचार व्यक्त किए, इसके पूर्व कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ मां वीणा वदिनी की प्रतिमा पर दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, गोष्ठी की प्रस्तावना संगठन के विभाग समन्वयक मुकुट विहारी ने रखी। इस अवसर पर विद्याभारती मध्य भारत प्रांत के सह प्रमुख चन्द्रहंस पाठक, प्रताप बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष उमेश भदौरिया एवं संस्थाओं से आए 71 संस्था प्रमुख उपस्थित रहे।