ग्वालियर जिला आंनदक टीम ने किया ‘अंतर्मन से संवाद’ संगोष्ठी का आयोजन

ग्वालियर, 15 सितम्बर। मप्र राज्य आनंद संस्थान (आनंद विभाग) द्वारा निर्देशित विश्व आत्महत्या निषेध दिवस के उपलक्ष्य में जिला-ग्वालियर की आनंदक टीम द्वारा सकारात्मकता के साथ जागरुकता के निहित प्रेरक उद्देश्य से आत्महत्या निषेध दिवस पर जागरुकता हेतु ‘अंतर्मन से संवाद’ शीर्षक के साथ ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के शुभारंभ में आनंदम सहयोगी भारती शाक्य द्वारा ‘तेरी पनाह में हमें रखना’ प्रार्थना प्रस्तुत की। उसके पश्चात जिले के डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम लीडर (आनंद) विजय कुमार उपमन्यु ने विश्व आत्महत्या निषेध दिवस से जुड़े तथ्यों, विश्व में आत्महत्या के आंकड़े एवं पृष्ठभूमि के साथ बचाव हेतु मनोवैज्ञानिक तथ्यों पर प्रकाश डाला।
संगोष्ठी के प्रमुख संचालन में अतिथि वक्ता भोपाल से राज्य आनन्द संस्थान के मास्टर ट्रेनर डॉ. नीलेश आर्य ने आत्महत्या के निषेध मे अंतर्मन से संवाद को महत्वपूर्ण बताते हुए आत्महत्या की प्रवृति के क्षेत्र एवं भिन्न कारणों पर प्रकाश डाला तथा वर्तमान में जीने को महत्व देते हुए, देने की भावना तथा प्रेम का महत्व बताते हुए समाधान हेतु मार्गदर्शन एवं उदाहरण के साथ चर्चा की।
संगोष्ठी संचालन में जिला आंनदक टीम के प्रतिनिधि वक्ता आनंदम सहयोगी गजन्ंद्र सरकार ने आत्महत्या के कारणों में अस्वीकार, इच्छा, कामना, प्रतिस्पर्धा, नशा इत्यादि कारणों का विस्तृत उल्लेख करते हुए समाधान पर बिंदुवार चर्चा की। आनंदम सहयोगी सुनील चोपड़ा ने आत्महत्या की मानसिकता तक ले जाने में आत्मशक्ति की कमी व सहनशक्ति की कमी को मुख्य आधार बताया। आनंदक रत्ना सरभाई ने आत्महत्या के कारणों में पारिवारिक क्लेश, आर्थिक संकट, टीन एजर्स के अफेयर्स की असफलता, एंजाइटी, नसे की आदत, शिक्षा में असफलता, क्रोध इत्यादि को मुख्य कारण बताया।
आनंदम सहयोगी प्रतिभा शर्मा ने बताया कि प्रकृति के करीब जीवन यापन करने वाले एवं जो लोग आध्यत्म, योग, दर्शन को जीवन में महत्व देते हैं, वो कभी आत्महत्या को जीवन में स्थान नहीं देते, इस तथ्य पर विचार रखे। आनंदक डॉ. श्याम सिंह ने योग की दृष्टि से आत्महत्या का मुख्य कारण आत्मपतन बताया एवं योग मार्ग पर चलकर पंच क्लेश से बाहर आकर इससे मुक्त होने का मार्ग बताया। संगोष्ठी में उपस्थित अन्य आंनदक सदस्यों मनोज साहू, जेपी आनंद, सरोज पात्रा, वैदेही त्रिपाठी, पूनम शर्मा, सीता चतुर्वेदी, दामोदर शर्मा, साधना मिश्रा, हेमलता विजयवंशी, डॉ. आशुतोष, प्रशांत भदौरिया, अनिल सिंह ने प्रश्न, अनुभव एवं चर्चा कर विषय पर जागरुकता के उद्देश्य को सार्थक किया। कार्यक्रम के समापन पर आनंदम सहयोगी भारती शाक्य ने मधुर गीत ‘ये जीवन है’ प्रस्तुत किया।