पंचायत व निकाय चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ संपन्न कराने प्रदेश सरकार संशोधन यादिका दायर करेगी : राज्यमंत्री ओपीएस

पत्रकारवार्ता में भाजपा नेताओं ने पत्रकार वार्ता में दी जानकारी

भिण्ड, 13 मई। कांग्रेस के कारण पिछड़ा वर्ग आरक्षण से वंचित था, क्योंकि कांग्रेस नहीं चाहती कि स्थानीय निकाय एवं पंचायत चुनाव हो। उसने जनहित याचिका लगवाकर चुनाव करवाने में अहम भूमिका निभाई है। नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण करने के संबंध में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मप्र सरकार पारित आदेश में संशोधन का आवेदन दायर करके पुन: अदालत से आग्रह करेगी कि प्रदेश में ओबीसी आरक्षण के साथ ही पंचायत व स्थानीय निकाय चुनाव संपन्न हो। बिना ओबीसी आरक्षण के नगरीय निकाय एवं पंचायत चुनाव कराए जाने की वर्तमान स्थिति कांग्रेस के कारण निर्मित हुई है। यह बात मप्र शासन के राज्यमंत्री ओपीएस भदौरिया ने भिण्ड सर्किट हाउस पर पिछड़ा वर्ग आरक्षण को लेकर आयोजित पत्रकार वार्ता में कही। इस अवसर पर भाजपा के प्रदेश मंत्री मदन कुशवाहा एवं जिलाध्यक्ष नाथूसिंह गुर्जर भी मौजूद रहे।
पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए भाजपा प्रदेश मंत्री मदन कुशवाहा ने कहा कि मप्र में तो 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण के साथ पंचायत चुनाव प्रक्रिया चल रही थी एवं सरकार द्वारा इसके अंतर्गत वार्ड परिसीमन, वार्डों का आरक्षण, अध्यक्ष का आरक्षण, मतदाता सूची तैयार करना आदि समस्त तैयारी कर ली गई थी। यहां तक कि ओबीसी व अन्य उम्मीदवारों द्वारा नामांकन भी दाखिल कर दिया गया था, किंतु कांग्रेस इसके विरुद्ध हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट गई, जिससे होने वाले चुनाव प्रभावित हुए एवं व्यवधान उत्पन्न हुआ।
भाजपा जिला नाथूसिंह गुर्जर ने बताया कि कांग्रेस ने अपने याचिका कर्ताओं मनमोहन नागर, उदया ठाकुर, सैयद जाफर के माध्यम से कोर्ट में प्रकरण दाखिल किया। इस तरह न्यायालयीन प्रक्रिया में उलझा कर ओबीसी हितों को कुचलने का काम कांग्रेस ने किया। मप्र सरकार ने आयोग बनाकर छह पेज की जो रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत की, उसमें प्रदेश में ओबीसी वर्ग की आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, परिस्थितियों के साथ एरिया वाइज संख्या के आंकड़े विस्तृत रूप से प्रस्तुत किए थे। जिसमें बताया गया था कि 48 प्रतिशत से ज्यादा ओबीसी मतदाताओं की औसत संख्या मप्र में है। कुल मतदाताओं में से अजा/ अजजा कि मतदाताओं के अतिरिक्त शेष मतदाताओं में अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं की संख्या 80 प्रतिशत है, यह भी आयोग की रिपोर्ट में पेश किया गया था। आयोग ने स्पष्ट अभिमत दिया था कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों तथा समस्त नगरी निकाय चुनाव के सभी स्तरों में अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं को कम से कम 35 प्रतिशत स्थान आरक्षित होना चाहिए। वह कमलनाथ सरकार ही थी जिसने विधानसभा में आठ जुलाई 2019 को मप्र लोकसेवा आरक्षण संशोधन विधेयक में यह नामक और असद आंकड़ा प्रस्तुत किया कि अन्य पिछड़े वर्ग की मप्र में कुल आबादी सिर्फ 27 प्रतिशत है, यह कांग्रेस का वह असली ओबीसी विरोधी चेहरा है जो मप्र की विधानसभा के दस्तावेजों में सदैव के लिए साक्ष्य बन गया है। भाजपा सरकार तथा संगठन हमेशा से नगरी ग्रामीण नेताओं के चुनाव का पक्षधर रहा है। नगरी नेताओं के चुनाव प्रमुख रूप से नवंबर 2019 को होना निर्धारित थे। परंतु कांग्रेस ने भ्रम फैलाकर चुनाव अटका दिए थे। भाजपा ने प्रदेश में वर्ष 2004 से लगातार तीन अन्य पिछड़ा वर्ग के मुख्यमंत्री प्रदेश को दिए। मंत्री मण्डल में भी ओबीसी के मंत्रियों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व स्थान दिया गया है।
पत्रकार वार्ता में प्रदेश कार्यसमिति सदस्य देवेन्द्र सिंह नरवरिया, जिला उपाध्यक्षगण अनिल सिंह कुशवाह, राघवेन्द्र सिंह भदौरिया, उपेन्द्र राजौरिया, जिला कार्यालय मंत्री आरबी सिंह बघेल, जिलामंत्री डॉ. तरुण शर्मा, जिला सह कार्यालय मंत्री रोहित शाक्य, जिला मीडिया प्रभारी रमाकांत पटसारिया, पिछड़ा वर्ग मोर्चा जिलाध्यक्ष धर्मेन्द्र गुर्जर, सोशल मीडिया प्रभारी मोनू नरवरिया, सह कोषाध्यक्ष दिलीप कुशवाह, सह सोशल मीडिया शेखर खटीक, युवामोर्चा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य प्रिंस दुबे, जिलाध्यक्ष विक्रांत सिंह कुशवाह, अतिराज नरवरिया, धीरज चौधरी, सर्जन नरवरिया, अभिषेक मिश्रा, मयूर भदौरिया, धर्मवीर बघेल, अमित चौधरी, गोपाल सोनी, मण्डल अध्यक्ष शेरू पचौरी एवं पार्टी के जिला पदाधिकारी, मोर्चा के पदाधिकारी, वरिष्ठ भाजपा कार्यकर्ता मौजूद रहे।