अतिक्रमण हटाए जाने के विरोध में प्रस्तुत दीवानी दावे को न्यायालय किया खारिज

भिण्ड, 01 मई। सिविल जज प्रथम श्रेणी भिण्ड के न्यायालय ने अतिक्रमण हटाने के विरोध में अभिषेक जैन व उनके भाई विवेक जैन पुत्रगण सतीश चन्द्र जैन निवासी वार्ड क्र.13 सदर बाजार भिण्ड की ओर से नगर पालिका भिण्ड के विरुद्ध दीवानी दावा प्रस्तुत किया था। न्यायालय ने अतिक्रमण को सार्वजनिक हित में हटाए जाने को लेकर प्रस्तुत दावे को निरस्त कर दिया है। प्रकरण में पैरवी अभिभाषण अटल बिहारी टांक ने की।
नगर पालिका के अभिभाषक अटल बिहारी टांक ने प्रकरण के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि अभिषेक जैन व उनके भाई विवेक जैन पुत्रगण सतीश चन्द्र जैन निवासी वार्ड क्र.13 सदर बाजार भिण्ड की ओर से उनके अभिभाषक मुकेश जैन ने बिना दीवानी दावा प्रस्तुत किए अस्थाई निषेधाज्ञा हेतु आवेदन पत्र न्यायालय प्रथम सिविल जज प्रथम श्रेणी भिण्ड के यहां प्रस्तुत किया था, जिसे न्यायालय द्वारा प्रकरण क्र.17/2022 एमजेसी सिविल के रूप में दर्ज किया गया। जिसमें वादीगण द्वारा लिखा गया था कि उन्होंने बयनामा द्वारा यह जायदाद क्रय की है व शासन एवं नगर पालिका द्वारा अतिक्रमण बताया जाकर तोड़ा जा रहा है, जिस पर से शासन को व नगर पालिका को नोटिस जारी किए गए। शासन द्वारा अपना ओआईसी सीएमओ नगर पालिका भिण्ड को नियुक्त किया गया, जिस कारण संयुक्त जवाब शासन के ओआईसी मुख्य नपा अधिकारी ने शासन व नगर पालिका की ओर से प्रस्तुत किया। नगर पालिका की ओर से सीमांकन की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई तथा अतिक्रमण की लिस्ट पेश की गई, जिसमें उल्लेख किया गया कि किस व्यक्ति का कितना सड़क पर अतिक्रण है। उक्त लिस्ट में अभिषेक जैन के पिता सतीश चन्द्र जैन के नाम के आगे अतिक्रमण होना सीरियल क्र.59 पर अंकित है।
फरियादी के विद्वान अभिभाषक मुकेश जैन ने मौखिक तर्कों के साथ साथ दो बार लिखित तर्क प्रस्तुत किए तथा शासन के विद्वान अभिभाषक जगदीश प्रसाद दीक्षित एवं नगर पालिका के अभिभाषक अटल बिहारी टांक ने अपने तर्क प्रस्तुत किए और बताया कि बादी ने 95 हजार रुपए कोर्ट फीस बचाने के उद्देश्य से बिना दावा किए यह आवेदन पत्र प्रस्तुत किया है तथा अतिक्रमण हटाए जाने की मुहिम सार्वजनिक हित में है। जिसके विरुद्ध अस्थाई निषेधाज्ञा जारी नहीं की जा सकती तथा वादीगण ने नगर पालिका से बिना अनुमति लिए भवन निर्माण किया है। ऐसी स्थिति में नगर पालिका को अतिक्रमण हटाने का अधिकार प्राप्त है व वादी के पक्ष में कोई प्रथम दृष्टया केस नहीं है व उनका आवेदन पत्र निरस्त किए जाने योग्य है। न्यायालय ने दोनों पक्षों के लम्बे तर्क को 29 अप्रैल 2022 को श्रवण किए जाने के पश्चात प्रकरण आदेश हेतु 30 अप्रैल के लिए नियत किया। 30 अप्रैल को वादीगण अभिषेक जैन आदि का उक्त अस्थाई निषेधाज्ञा का आवेदन पत्र निरस्त किया गया। साथ ही आगे कार्रवाई शेष न होने के कारण उनका प्रकरण दाखिल रिकार्ड कर दिया गया।