नाबालिग से दुष्कर्म करने के आरोपी को 20 वर्ष का सश्रम कारावास

न्यायालय ने पीडि़त परिवार को एक लाख रुपए प्रतिकर स्वरूप दिए जाने आदेश भी दिया

सागर, 30 अप्रैल। विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट तहसील बीना, जिला सागर श्री हेमंत कुमार अग्रवाल के न्यायालय ने नाबालिग को बहला-फुसलाकर दुष्कर्म करने के आरोपी रवि पुत्र मनोहर रजक उम्र 29 वर्ष निवासी थाना अंतर्गत बीना, जिला सागर को धारा 5/6 पॉक्सो एक्ट अंतर्गत 20 वर्ष का सश्रम कारावास व एक हजार रुपए के अर्थदण्ड, धारा 363 भादंवि में तीन वर्ष सश्रम कारावास व 500 रुपए अर्थदण्ड तथा धारा 366ए भादंवि में पांच वर्ष का कारावास एवं 500 रुपए जुर्माने से दण्डित किया है। पीडि़ता के परिवार की आर्थिक स्थिति एवं उसको हुई शारीरिक एवं मानसिक क्षति को देखते हुए एक लाख रुपए प्रतिकर स्वरूप दिए जाने आदेश न्यायालय ने प्रदान किया है। प्रकरण में राज्य शासन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक/ सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्यामसुंदर गुप्ता ने की।
जिला अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी सौरभ डिम्हा ने बताया कि 26 अक्टूबर 2020 को पीडि़ता के भाई ने थाना बीना में रिपोर्ट लेख कराई कि उसकी बहिन स्कूल जाने की कहकर गई थी, जो अभी तक घर नहीं आई। गांव में आस-पास तलाश किया, पता नहीं चला, कोई अज्ञात व्यक्ति बहला फुसलाकर भगाकर ले गया है। उक्त रिपोर्ट पर से थाना बीना में अज्ञात व्यक्ति के विरुद्ध अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। पीडि़ता को 13 नवंबर 2020 को पुलिस ने दस्तयाब किया। पीडि़ता ने बताया कि आरोपी रवि उसे शादी का कहकर बहला फुसलाकर भोपाल ले गया था और वहां उसकी मर्जी के खिलाफ उसके साथ 17-18 दिन तक लगातार गलत काम किया और शारीरिक संबंध बनाए। पुलिस ने पीडि़ता के बयान के आधार पर मेडीकल परीक्षण कराया एवं डीएनए परीक्षण एफएसएल से कराया, जिसमें शारीरिक संबंध बनाए जाने की पुष्टि हुई। विवेचना उपरांत अभियुक्त के विरुद्ध अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। करीब डेढ़ वर्ष तक न्यायालय में विचारण चला। जहां अभियोजन ने मामले को युक्तियुक्त संदेह से परे प्रमाणित किया। न्यायालय द्वारा उभय पक्ष को सुना एवं प्रकरण के तथ्य, परिस्थितियों एवं अपराध की गंभीरता को देखते हुए व अभियोजन के तर्कों से सहमत होकर आरोपी रवि रजक को 20 वर्ष के सश्रम कारावास से दण्डित करने का आदेश दिया। पीडि़ता के परिवार की आर्थिक स्थिति एवं उसको हुई शारीरिक एवं मानसिक क्षति को देखते हुए एक लाख रुपए प्रतिकर स्वरूप दिए जाने आदेश न्यायालय ने प्रदान किया है।