निरीक्षक को कानून का ज्ञान न अनुसंधान की जानकारी, ट्रेनिंग की जरूरत : हाईकोर्ट

हाईकोर्ट खण्डपीठ ग्वाालियर ने देहता थाना प्रभारी को लगाई फटकार

भिण्ड, 26 अप्रैल। मप्र हाईकोर्ट खण्डपीठ ग्वाालियर में पदस्थ जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने भिण्ड के देहात थाना में पदस्थ कार्यवाहक निरीक्षक रामबाबू यादव को कड़ी फटकार लगाई। एक मामले की सुनवाई में देहात थाना प्रभारी द्वारा पेश की गई चार्टशीट में अनुसंधान ठीक नहीं पाया गया। पकड़े गए आरोपित की परेड शिनाख्ती भी नहीं कराई गई थी। हाईकोर्ट जस्टिस अहलूवालिया ने देहात थाना प्रभारी को स्पष्ट व कड़े शब्दों में कहा कि आपको लॉ की जानकारी नहीं है। ना ही अनुसधान ठीक से किया गया है।
हाईकोर्ट ने आदेशित किया है कि देहात थाना प्रभारी को कम से कम छह महीने की ट्रेनिंग किसी भी पीटीएस में कराई जाए। 15 दिन के अंदर ट्रेनिंग ज्वाइंनिग कराकर जानकारी दी जाए। ये आदेश का तत्काल प्रभाव से पालन कराए जाए। इस संदर्भ में मप्र डीजीपी और भिण्ड एसपी को भी अवगत कराया गया है।
दरअसल, मामला यह था कि वर्ष 2012 में सशत्र लूट, डकैती व अवैध हथियार के अपराध के अनुसंधान में फरार वारंट की राजवीर सिंह को देहात पुलिस ने प्रॉडेक्शन वारंट पर पकड़ा और न्यायालय में पेश किया। इस मामले में आरोपी द्वारा न्यायालय में जमानत की अर्जी लगाई गई। ये अर्जी की सुनवाई जस्टिस आहलूवालिया की कोर्ट में हुई। सुनवाई के दौरान जस्टिस ने मामले का अनुसंधान ठीक से नहीं पाया और आरोपी की परेड शिनाख्ती न होने पर जमानत निरस्त कर दी गई। इसके बाद इस मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सरकारी वकील से पुलिस के अनुसंधान पर सवाल खड़े किए। जब इस मामले में हाईकोर्ट ने देहात थाना प्रभारी रामबाबू यादव को तलब किया। न्यायालय द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में थाना प्रभारी द्वारा ठीक से जवाब नहीं दिए गए। हर सवाल के जवाब में देहात थाना प्रभारी यादव द्वारा न्यायालय को गुमराह किया गया। न्यायालय को गुमराह करने की कोशिश पर जस्टिस ने कड़ी फटकार लगाई।
जब न्यायालय ने पूछा कि इस मामले में इतना विलंब क्यों हुआ? तो थाना प्रभारी ने कहा- मेरे संज्ञान में मामला नहीं था। डीजीपी कार्यालय से आए पत्र में वारंटियों को गिरफ्तारी पर आरोपी को पकड़ा गया था। न्यायालय ने कहा कि आरोपित की परेड शिनाख्त क्यों नहीं कराई गई? इसका जवाब थाना प्रभारी ठीक से न देकर तहसीलदार पर टलाना चाहा। उन्होंने कहा कि पत्र तहसीलदार को लिखा गया था। जब न्यायालय ने पूछा पत्र कब लिखा गया? इस पर जवाब आया कि सुनवाई के एक दिन पहले 24 अप्रैल को लिखा गया था।
इस तरह न्यायालय के समक्ष जवाब पेश करने पर जस्टिस ने कड़ी फटकार लगाते हुए पुन: प्रशिक्षण की जरूरत बताई और तत्काल प्रभाव से प्रदेश के किसी भी प्रशिक्षण केन्द्र को ज्वाइन करके पास किए जाने की हिदायत दी। इस संदर्भ में मप्र डीजीपी को भी पत्र भेजा गया है।