बालक के साथ अप्राकृतिक कृत्य का प्रयास करने वाले आरोपी को दस वर्ष का सश्रम कारावास

सागर, 24 मार्च। विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) एवं प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश रहली, जिला सागर श्री प्रमोद कुमार के न्यायालय ने आरोपी अनिल पुत्र दामोदर वाल्मीकि उम्र 22 वर्ष निवासी थाना अंतर्गत रहली को नाबालिग बालक के साथ अप्राकृतिक कृत्य करने का प्रयास का आरोपी पाते हुए धारा 377 भादंवि, सहपठित धारा 511 के अपराध में 10 वर्ष के सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए के अर्थदण्ड तथा लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा-3(सी) सहपठित धारा-4 के अपराध में 10 वर्ष के सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए जुर्माने से दण्डित किया। प्रकरण में राज्य शासन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक एवं सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी आशीष त्रिपाठी ने की।
मीडिया प्रभारी/ सहायक जिला अभियोजन अधिकारी सागर के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि 10 अक्टूबर 2018 की शाम सात बजे के समय पीडि़त बालक अपने दोस्तों के साथ चोर सिपाही का खेल खेल रहा था। अभियुक्त अपने घर के पास बैठा था। पीडि़त बालक खेलते-खेलते थोड़ा दूर चला गया तो अभियुक्त आया और पीडि़त बालक के कंधे पर हाथ रखकर अभियुक्त उसे अपने भाई की कुटी की तरफ ले गया और कुटी में पीडि़त बालक को अंदर करके दरवाजा लगा दिया। अभियुक्त ने पीडि़त बालक के साथ अप्राकृतिक कृत्य करने लगा इतने में अभियुक्त का भाई आ गया तो अभियुक्त पीडि़त बालक को छोड़कर भाग गया। पीडि़त बालक ने अपने माता-पिता के साथ थाना रहली में आकर प्रथम सूचना रिपोर्ट लेख कराई। फरियादी की उक्त रिपोर्ट के आधार पर प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। विवेचना उपरांत अभियुक्त के विरुद्ध अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। जहां अभियोजन ने मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। न्यायालय ने उभय पक्ष को सुना एवं प्रकरण के तथ्य, परिस्थितियों व अभियोजन के तर्कों से सहमत होकर आरोपी अभियुक्त अनिल वाल्मीकि को धारा 377 भादंवि, सहपठित धारा 511 के अपराध में 10 वर्ष के सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए अर्थदण्ड तथा लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा-3(सी) सहपठित धारा-4 के अपराध में 10 वर्ष के सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए जुर्माने से दण्डित करने का आदेश दिया है।