सरपंचों को दिए अधिकारी, निकाय प्रतिनिधियों के साथ सरकार की दोहरी नीति

भिण्ड, 18 जनवरी। मप्र सरकार के मुखिया शिवराज सिहं चौहान ने पंचायत को पुन: अधिकार वापस देकर पंच, सरपंच, जनपद, जिला पंचायत के प्रति अपनी सरकार का उदारदापूर्ण हृदय का परिचय जो दिया है, उससे त्रिस्तरीय पंचायत जन प्रतिनिधियों में खुशी की लहर है। जबकि नगरीय निकाय के निवर्तमान अध्यक्षों एवं पार्षदों की पुन: पद पर वापसी नहीं की जाकर उनके स्थान पर प्रशासक नियुक्त किए जाने से निकाय अध्यक्षों में रोष नजर आ रहा है। उनका कहना है कि सरकार पंचायत के प्रतिनिधियों से दोस्ती बरकरार रख रही है जबकि निकाय प्रतिनिधियों के साथ दोहरी नीति क्यों अपनाई गई है?
जानकारों के अनुसार ग्राम पंचायतों में रहने वाले आमजन के हिताय सुखाय के लिए हर संभव प्रयास किया जाना सरकार की मंशा बताई जा रही है। पंचायतों के विकास मे कोई कमी न आने पाए, जनप्रतिनिधियों को गांव ग्रामीण की जानकारी यथासंभव होती है, जिसका निदान जनप्रतिनिधियों द्वारा ही समुचित तरीके से हल किया जा सकता है। प्रशासन को बित्तीय अधिकार सौंपकर आमजन की समस्या और विकास में अवरोध की समस्या उत्पन्न होने के कई कारण भी हो सकते हैं, जैसे प्रशासनिक अधिकारियों पर शासकीय काम अधिकता के कारण आमजन की समस्याओं को कम समय दे पाना या फिर आमजन का अधिकारियों तक अपनी समस्याओं को पहुंचाने में या बताने में बिलंव होना भी एक बड़ी समस्या रहती होती, इन सभी पर विचार विमर्श करते हुए सरकार द्वारा पुन: पंचायतों को अधिकार देते हुए जनकल्याण की कामना का परिचय दिया है।
नगर पालिका नगर निगम नगर परिषद के अध्यक्षों के अधिकार भी अगर सरकार ने बापस देने में अपनी उदारता का परिचय दिया होता तो शायद नगरीय क्षेत्रों में रहने वाले आमजन को भी सरकार की उदारतापूर्ण सहृदय का लाभ मिलना संभव होता, ग्राम पंचायतों से अधिक समस्याओं से ग्रसित नगरीय क्षेत्रों में रहने वाले आमजन होते हैं, नगरीय क्षेत्रों में आमजन की छोटी-छोटी समस्याओं से पीडि़त होना और हर समस्याओं को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों तक पहुंचाना या बताना अधिक कठिन होता और लोग आए दिन अपनी समस्याओं से परेशान बने रहते है, मप्र सरकार के मुखिया ने जिस तरह से पंचायतों को अधिकार देकर अपनी दरयादिली का परिचय दिया है उसी प्रकार नगर निगम, नगर पालिका, नगर परिषदों को भी पुन: अधिकार प्रदान कर नगरीय क्षेत्रों की जनता के विकास के प्रति सरकार की उदारदापूर्ण सहृदय का परिचय देने में क्यों उदासीन है, नगरीय क्षेत्रों के प्रति उदासीनता आखिर क्यों?