द्रोपदी का डर और डर की द्रोपदी

– राकेश अचल चलिए अच्छा हुआ कि कोलकाता बलात्कार काण्ड के बारे में बोलकर राष्ट्रपति श्रीमती…

बलात्कार, बंद और बीजेपी

– राकेश अचल आज का शीर्षक किसी आने वाली फिल्म का नाम नहीं है। ये शीर्षक…

शांतिदूत के गाल पर थप्पड

– राकेश अचल युद्ध उन्मादी कोई भी हो, उसे शांति की बात न सुनाई देती है…

कृष्ण और नीरो की बंशी में भेद

– राकेश अचल सोमवार और मंगलवार को पूरा देश योगिराज भगवान श्रीकृष्ण का 5251वां जन्मोत्सव मना…

बुलडोजर न्याय या तालिबानी संस्कृति?

– राकेश अचल देश के भाजपा शासित राज्यों में बुलडोजर न्याय एक बार फिर से चर्चा…

हाथों के तोते बनाम शांति कपोत

– राकेश अचल ‘कपोत’ एक पुराना शब्द है। आज-कल कम ही प्रचलन में है, क्योंकि 176…

मूड आफ दी नेशन की नौटंकी

– राकेश अचल सामंतों के जमाने में चारण और भाट हुआ करते थे। कलिकाल में ये…

स्त्री आज भी क्यों कमाई का सबसे बडा जरिया है?

– राकेश अचल दुनिया में जो देश नारी की पूजा का दावा करता है उसी देश…

जनता की सुनो अदालत वालों!

– राकेश अचल देश में आम चुनाव होने तीन माह बाद आज पहली बार भारत बंद…

नौकरशाही का पिछवाडा यानि लेटरल एंट्री

– राकेश अचल देश में आज-कल ‘लेटरल एन्ट्री’ विवाद का मुद्दा है। ये मुद्दा बंगाल के…