मनुष्य अपने आप में मित्र एवं शत्रु स्वयं है : तिवारी

भिण्ड, 29 सितम्बर। विश्व गीता प्रतिष्ठानम् द्वारा चलाए जा रहे घर-घर गीता का प्रचार हो जन अभियान के अंतर्गत गोविंद नगर में स्थित निजी कोचिंग में गीता स्वाध्याय पाठ का आयोजन किया गया। विश्व गीता प्रतिष्ठानम् के मीडिया प्रभारी शैलेश सक्सेना ने बताया कि मुख्य यजमान आदित्य चौहान द्वारा भगवान कृष्ण के चित्र पर दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण कर कार्यक्रम की शुरुआत हुई। स्वाध्याय पत्र का वाचन सामूहिक रूप से किया गया, सुभाषित का वाचन बृजेश शुक्ला एवं अमृत वचन की प्रस्तुति ग्वालियर से पधारे विश्व गीता प्रतिष्ठानम् के केंद्रीय महामंत्री विष्णु नारायण तिवारी द्वारा की गई।
मुख्य वक्ता विष्णु नारायण तिवारी द्वारा गीता के छठवें अध्याय के प्रथम श्लोक से ग्यारह वें लोक तक गायन किया एवं सारगर्भित व्याख्या की। उन्होंने कहा कि सन्यासी एवं योगी वही है जो कर्म के फल की इच्छा न करते हुए करने योग्य कर्म करता है यह भी सत्य है कि संकल्पों का त्याग करने वाला पुरुष भी योगी नहीं हो सकता, सभी प्रकार के भौतिक क्रियाकलापों का त्याग ही योग सिद्ध पुरुष का मुख्य साधन है। मनुष्य स्वयं अपना कल्याण करें मन को नियंत्रण में करना पुरुष के लिए बहुत आवश्यक है क्योंकि मन ही व्यक्ति के स्वयं का मित्र एवं शत्रु होता है मन मनुष्य के बंधन एवं मोक्ष का भी कारण है। उन्होंने कहा कि मन को जीतने वाले मनुष्य का मन ही सर्वश्रेष्ठ मित्र है जो ऐसा नहीं कर पाते उनके लिए मन शत्रु के समान है। मन को जीतने वाला हीपरमात्मा को प्राप्त कर सकता है, क्योंकि ऐसे पुरुष के लिए सुख दुख, सर्दी गर्मी, मान अपमान एक समान है।
ज्ञानेंद्र सिंह भदौरिया ने गीता के महत्व की व्याख्या करते हुए उपस्थित गीता प्रेमियों से गीता स्वाध्याय करने का आह्वान किया एवं गीता से मिलने वाले शुभ परिणाम के बारे में बताया। अंत में मां गीता की आरती एवं प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। इस अवसर पर प्रदीप ऋषिश्वर, भानु श्रीवास्तव, महेंद्र बाबू तिवारी, राजेंद्र सिंह भदौरिया, कुलदीप राजावत, राजमणि शर्मा, जयप्रकाश शर्मा, महेंद्र दीक्षित, प्रदीप चौहान, बृजेश शुक्ला, कृष्ण अवतार पाराशर, विष्णु कुमार शर्मा, आदित्य चौहान, अर्पित शर्मा, दीपक शर्मा, विनोद बघेल, महिलाएं एवं छात्र उपस्थित रहे।