भिण्ड, 20 नवम्बर। सरस्वती शिशु मन्दिर हाईस्कूल दबोह में स्वाधीनता के 75 वर्ष पूर्ण होने पर अमृत महोत्सव के तहत रानी लक्ष्मीबाई के जन्मदिन पर विद्यालय में मातृ सम्मेलन आयोजित किया गया। सबसे पहले माँ सरस्वती की तस्वीर के साथ-साथ महापुरुषों की तस्वीरों पर माल्यापर्ण किया गया। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती शालिनी गुप्ता आचार्य ने किया।
विद्यालय के प्राचार्य जयश्रीराम प्रजापति ने कार्यक्रम की भूमिका रखते हुए तेजस्वनी नारियों के बारे में बताते हुए कहा कि राष्ट निर्माण में भारतीय नारियों का बड़ा योगदान रहा है। जिनमे किरण बेदी, कल्पना चाबल, मल्लेश्वरी देवी, सुषमा स्वराज, उमा भारती, ममता वनर्जी व विश्व विजेता पीटी ऊषा प्रमुख्य नारी शक्ति है। उन्होंने कहा कि झांसी की रानी ने अपना सर्वस्व न्योछावर कर के राष्ट का गौरव बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि बालक के सर्वांगीण विकास में मां की अहम भूमिका रहती है। बालक का प्रथम गुरु मां होती है।
विद्यालय की दीदी कु. वर्षा चतुर्वेदी ने संस्कार क्षम वातावरण के बारे में बताया कि बालक देख कर सीखता है, इसलिए सभी माताएं अपने घरों पर महापुरुषों के चित्र, पूजा घर, तुलसी के पौधे अवश्य लगाना चाहिए। कु. प्रतीक्षा तिवारी ने अपने वक्तव्य में बालक के आहार व्यवहार के बारे में कहा कि जैसे खाएंगे अन्न बैसा बनेगा मन, इसलिए माताओं से अपेक्षा है कि घर का बना हुआ भोजन ही बालक को खिलाए बाजार के पास्ता, पिज्जा, बर्गर आदि न खिलाएं। क्योंकि इससे शारीरिक विकास नहीं होता है, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता घटती है। श्रीमती शालिनी गुप्ता ने अपने उद्बोधन में कहा कि बालक को मां संस्कार बचपन से ही देती है तब बालक श्रेष्ठ बनता है। अभिमन्यु अष्टावक्र तथा प्रहलाद का उदाहरण देते हुए कहा कि संस्कार मां के गर्भ से ही दिए जाते हैं, बालक गर्भ से ही सीखता है। कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि श्रीमती मधु गुप्ता ने सरस्वती शिशु मन्दिर के परिचय के बारे में बताया कि इस विद्यालय में हमने 20 वर्ष पहले पढ़ाया और यहां से बालक शिक्षा ग्रहण कर संस्कारित होकर बड़े-बड़े पदों पर पहुंच कर भी अपने माता-पिता, दादा-दादी की सेवा करते हैं।
मुख्य वक्ता शा. कन्या विद्यालय दबोह की वरिष्ट शिक्षिका श्रीमती सरिता देवी ने मार्गदर्शन देते हुए कहा कि महिलाओं को अपने स्वाभिमान को रखते हुए अपनी बात कहना चाहिए। आज शिक्षित ना होने के कारण महिला को दबा दिया जाता है, वह अपनी बात नहीं कह पाती है, यह कार्य कठिन जरूर है, लेकिन अपनी बात मनवाने का हक है, उसे आप दृढ़ता के साथ कहें मैं जो आज हूं वह संघर्ष करके ही हूं और हम घर परिवार को स्वर्ग जैसा बनाएं, साथ ही नारी सशक्तिकरण के संबंध में चर्चा की। विधालय के छात्राओं ने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के गीत के माध्यम से में अपनी झांसी नहीं दूंगी, एक लघु नाटिका सम्मेलन में प्रस्तुत की। नाटिका को सभी माताओं ने खूब सराहा। माताओं ने विद्यालय के विकास के लिए अपने-अपने सुझाव भी दिए तथा पारंपरिक लोक आंचलिक गीत भी माताओं द्वारा प्रस्तुत किए गए।
अंत में अध्यक्षा श्रीमती गिरिजा देवी गहोई ने कहा कि इस विद्यालय ने हमारे बच्चों को बहुत ऊंचाई तक पहुंचाया, आज बहुत बड़ी शासकीय पोस्ट पर कार्यरत हैं। मैं यही कहूंगी कि शिक्षा एवं संस्कार के लिए इसी सरस्वती शिशु मन्दिर विद्यालय में अपने बालकों को पढ़ाना चाहिए। कार्यक्रम में शिशु वाटिका की शैक्षिक आयामों की प्रदर्शनी भी लगाई गई। अंत में आभार पूरन सिंह कौरव ने व्यक्त किया। इस अवसर पर समिति परिवार अध्यक्ष भगवान नायक, आचार्य परिवार अमित कौरव, राजीव कौरव आदि उपस्थित रहे।