– नगर कांग्रेस अध्यक्ष त्रिपाठी ने खाद वितरण प्रणाली पर लगाए आरोप
भिण्ड, 18 अगस्त। जिले में किसान खाद के लिए परेशान हैं, सरकार द्वारा कहा जा रहा है की मार्केटिंग सोसाइटी सहित तमाम ग्रामीण एरिया में उनकी गोदाम पर पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध है, लेकिन हकीकत में कहीं भी खाद उपलब्ध नहीं है। यह आरोप नगर कांग्रेस के अध्यक्ष संतोष त्रिपाठी ने लगाया है।
उन्होंने कहा कि उनके द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों सहित भिण्ड नगर की सोसाइटी पर भ्रमण किया गया, तब जिले का अन्नदाता, लाडली बहिनों सहित भीषण गर्मी में खुली धूप में लाइनों में लगा है। एक तरफ सरकार किसान हितैषी सरकार बताती है, दूसरी तरफ अन्नदाता को खाद देने में असमर्थ है। खाद के लिए अन्नदाता दर-दर भटक रहा है। वैसे भी अति वर्षा के कारण किसानों ने समय पर फसल नहीं बो पाई है, जिन अन्नदाताओं की फसल खडी है उनके लिए उनको खाद नहीं मिल रहा है। आने वाले समय में भिण्ड जिले का किसान बहुत ज्यादा तादाद में सरसों की फसल बोता है, इसलिए उसको बहुत मात्रा में डीएपी खाद की जरूरत पडेगी। इस स्थिति में लगता है इस बार सरकार अन्नदाता को सरसों की फसल के लिए खाद उपलब्ध करा नहीं पाएगी या फिर किसानों को ब्लैक में खाद लेना पडेगा। पहले सरकार द्वारा शासकीय सोसाइटियों एवं प्राइवेट डीलरों को खाद दिया जाता था, तब अन्नदाता कम परेशान होता था और पर्याप्त मात्रा में खाद मिल जाता था।
उन्होंने कहा कि उसके बाद सरकार ने 80-20 के रेशियो में खाद देना शुरू किया, जिसमें सोसाइटियों को 80 प्रतिशत और प्राइवेट डीलरों को को 20 प्रतिशत खाद मिलने लगा और सरकार के इस किसान विरोधी निर्णय से उनको लाइनों में लगा दिया। इस बार सरकार ने पूरा खाद सोसाइटियों के माध्यम से अन्नदाता को उपलब्ध कराने का निर्णय लिया जो बुरी तरह से फेल साबित हुआ। कुछ प्राइवेट डीलरों को सरकार खाद उपलब्ध करा भी रही है तो बहुत ही कम मात्रा में और उसके साथ तमाम खाद निर्माता कंपनियों के अन्य उत्पाद भी किसानों को लेने पड रहे हैं जिससे किसान पर महंगाई का भार बढ रहा है। किसान को नैनो यूरिया दिया जा रहा है जिससे उन पर मेहनत के साथ-साथ आर्थिक भार भी बढ रहा है, वह भी कम मात्रा में ही उपलब्ध है।
त्रिपाठी ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि हमारे जिले के किसानों के लिए शहर सहित ग्रामीण सोसाइटियों के साथ-साथ प्राइवेट डीलरों पर पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध कराया जाए, जिससे सुलभ तरीके से खाद मिल सके।