रिकार्ड तोड मोदी के लिए नेहरू अब भी चुनौती!

– राकेश अचल


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आगे देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू हैं और पीछे उनकी बेटी श्रीमती इन्दिरा गांधी। मोदी जी ने इन्दिरा गांधी के शासन का रिकार्ड पार कर लिया, लेकिन वे पूरा कस-बल लगाकर भी न नेहरू जितनी कीर्ति अर्जित कर पाए और न नेहरू जितना शासन कर पाए। नेहरू ने सत्ता के साथ देश और दुनिया के दिलों पर भी शासन किया था। मोदी जी को सत्ता में रहते हुए 11 साल और 60 दिन पूरे हो चुके हैं। इस तरह उन्होंने देश की पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के एक और रिकार्ड को तोड दिया है। पीएम मोदी अब सिर्फ जवाहरलाल नेहरू से पीछे चल रहे हैं, जिन्होंने लगातार 16 साल 286 दिन तक प्रधानमंत्री की कुर्सी अपने पास रखी थी।
वैसे यह जरूर है कि दोनों जवाहरलाल नेहरू और इन्दिरा गांधी ने चार बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी, लेकिन इतना फर्क जरूर रहा कि नेहरू लगातार जीतते रहे और सत्ता पर काबिज रहे, वहीं इन्दिरा गांधी को आपातकाल के बाद कुछ समय के लिए अपनी सत्ता गंवानी पडी थी। लेकिन बात अगर प्रधानमंत्री शपथ लेने की आएगी तो प्रधानमंत्री मोदी अभी भी जवाहरलाल नेहरू और इन्दिरा गांधी से पीछे चल रहे हैं, क्योंकि नेहरू और इन्दिरा ने चार बार पीएम पद की शपथ ली है, ऐसे में अभी पीएम मोदी को एक बार फिर पीएम पद की शपथ लेनी होगी। वैसे इस मामले में मोदी, जवाहरलाल नेहरू और इन्दिरा गांधी के पीछे चल रहे हैं।
मोदी जी को नेहरू और इन्दिरा गांधी से बडा नेता बताने वाले उनके समर्थक रिकार्ड बनाने और कीर्ति अर्जित करने के भेद को समझ नहीं पा रहे। कई मामलों में उन्होंने उन दोनों को भी पीछे छोड दिया है। मोदी जी ने देश की आजादी की लडाई नहीं लडी। वे आपातकाल में भी जेल नहीं गए, जबकि नेहरू ने टुकडों में 13 साल जेलों में बिताए, उनकी बेटी इन्दिरा गांधी ने भी जेल यात्राएं की।
हां मोदी जी पिछले 24 साल से सक्रिय राजनीति का हिस्सा हैं और लगातार चुनाव जीतते हुए आ रहे हैं। वे 2001 से 2014 तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे और फिर उसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली। मुमकिन है कि उन्हें जेल यात्रा पद से हटने के बाद करने का योग हो। ये सही है कि मोदी पहले गैर कांग्रेसी नेता हैं जिन्होंने लगातार दो कार्यकाल अपने पूरे किए हैं। इससे पहले अटल बिहारी वाजपेयी भी भाजपा नेता थे, लेकिन उनका कार्यकाल सिर्फ 6 साल का रहा, लेकिन अटल जी ने तीन बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी, इसलिए मोदी जी का ये रिकार्ड भी बेकार गया।
मोदी जी को नेहरू और इन्दिरा के बराबर खडा करने की कोशिश करने वाले भूल जाते हैं कि नेहरू और इन्दिरा गांधी ने कभी बैशाखियों के सहारे कोई सरकार नहीं चलाई। इन दोनों के कार्यकाल में कभी 80 करोड लोग रोटी के लिए सरकार के मोहताज नहीं बने। इन्दिरा गांधी ने 1971 में पाकिस्तान को तोडकर बांग्लादेश बनवाया, लेकिन मोदी ने 2019 में इन्दिरा गांधी की बराबरी करने की सनक में कश्मीर के ही तीन टुकडे कर दिए, जो आज भी राज्य बनने के लिए तडप रहे हैं। लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है।
नेहरू और गांधी ने कभी डबल इंजन लगाकर राज्य सरकारें नहीं चलाईं, किंतु मोदी जी को मजबूरन एक के पीछे एक इंजन लगाना पडा। हां मोदी जी ने दुनिया के 25 देशों के नागरिक सम्मान जरूर हासिल किए, लेकिन नेहरू और इन्दिरा गांधी अपने ही देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान लेकर संतुष्ट रहे। मोदी जी को अब इस दिशा में मेहनत करना पडेगी, अन्यथा बे पिता-पुत्री का मुकाबला कैसे कर पाएंगे।
पिता-पुत्री की जोडी की बराबरी करना मोदी जी के लिए कदाचित आसान है भी नहीं। जैसे नेहरू जी 75 साल के होते ही परलोक चले गए। इन्दिरा गांधी ने सत्ता में रहते हुए शहादत दी। इस रिकार्ड की बराबरी मोदी जी को भूलकर भी नहीं करना चाहिए, अन्यथा उनके शुभचिंतक उन्हें पानी पर चढा सकते हैं। नेहरू और इन्दिरा गांधी ने दुश्मन के खिलाफ सीधे लडाई लडी, जबकि मोदी जी सर्जीकल स्ट्राइक और ऑपरेशन सिंदूर से आगे नहीं बढ पाए। नेहरू और इन्दिरा गांधी के समय में दुनिया के किसी भी देश ने ये दावा नहीं किया कि कोई युद्ध बंदी या सीजफायर उसने कराई है। किंतु तीन दिन के ऑपरेशन सिंदूर के बाद सीजफायर को लेकर अमरीका के राष्ट्रपति दो दर्जन बार दावे कर चुके हैं।
ये सच है कि नेहरू और इन्दिरा गांधी भारत को दुनिया की चौथी बडी अर्थव्यवस्था नहीं बना पाए, लेकिन मोदी जी ने बना दिया। इसके लिए उन्हें बधाई दी जा सकती है, किंतु इससे भारत को मिला क्या? भारत के पास जो था, वो अस्मिता, संप्रभुता, समरसता, सब जख्मी हो चुकी है। मोदी जी के नेतृत्व में न देश हिन्दू बन सका और न जैसा था वैसा रह सका। मोदीजी द्वारा बनाए गए तमाम रिकार्ड देश के लिए कितने फायदेमंद हैं इसका आकलन मोदी जी के बाद ही होगा। अभी तो जितने भी प्रयास हैं वे ‘अहो रूपम, अहो ध्वनि’ की कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं।
मोदी जी का जो असल रिकार्ड है उसका जिक्र किसी ने नहीं किया। मोदी जी के कार्यकाल में आजादी के बाद का सबसे बडा किसान आंदोलन हुआ, 750 किसान मरे। मोदी के राज में सबसे ज्यादा सांसद निलंबित हुए, सबसे ज्यादा असंवैधानिक इलेक्टोरल बांड से चुनावी चंदा वसूल किया गया। सबसे ज्यादा उद्योगपति देश का धन लेकर विदेश भागे। सबसे ज्यादा कालाधन मोदी जी के राज में बढा। सबसे ज्यादा समय तक मणिपुर जला लेकिन मोदी जी वहां कभी नहीं गए। मोदी जी का ही रिकार्ड है कि संसद के चलते एक उप राष्ट्रपति ने इस्तीफा दिया। लेकिन इन रिकार्ड्स से मोदी जी की कीर्ति नहीं बढी, उलटे बदनामी ही हुई। मोदी जी का सबसे बडा रिकार्ड ये है कि उन्होंने एक भी पत्रकार वार्ता में हिस्सा नहीं लिया। बहरहाल मोदी जी को शासन करने में इन्दिरा गांधी से आगे निकलने पर बधाइयां। वे नेहरू का भी रिकार्ड तोडें, पुतिन का भी तोडें, शी जिन पिंग का भी तोडें, साथ ही देश की कीर्ति भी बढाएं। रिकार्ड तो हमारे खिलाडी खेल, खेल में तोड देते हैं।