जिला समन्वयक एसबीएम जिला पंचायत भिण्ड को बगैर किसी वैध संविदा अनुबंध के किए जा रहे कार्य से किया पृथक

– कलेक्टर ने लगाए गए आरोपों की गंभीरता को दृष्टिगत रखते हुए किया आदेश

भिण्ड, 30 मई। कलेक्टर भिण्ड ने जिला समन्वयक एसबीएम जिला पंचायत भिण्ड राकेश खरे के ऊपर लगाए गए आरोपों की गंभीरता को दृष्टिगत रखते हुए उनके द्वारा बगैर किसी वैध संविदा अनुबंध के किए जा रहे कार्य से पृथक कर दिया है।
कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने आदेश जारी कर कहा है कि राकेश खरे तत्कालीन परियोजना अधिकारी (मनरेगा) जिला पंचायत भिण्ड को आयुक्त मप्र राज्य रोजगार गारंटी परिषद भोपाल द्वारा 8 जनवरी 2024 को कारण बताओ नोटिस जारी कर जिले भिण्ड में राशि 34.96 करोड रुपए का सामग्री भुगतान लंबित प्रदर्शित होने पर निर्देश दिए जाने के बाद भी सामग्री भुगतान या देयक यदि भुगतान योग्य नहीं है तो उनके विलोपन हेतु निर्देश दिए गए थे, जिनका पालन नहीं किया गया। राज्य स्तर से अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी मप्र राज्य रोजगार गारंटी परिषद द्वारा की गई जांच में पाया गया कि जिला भिण्ड में गैर अनुमत कार्यों को स्वीकृत किया जाकर कार्यों पर भुगतान किया गया है। कार्यस्थल पर सिटीजन इंफोर्मेशन बोर्ड नहीं पाए गए, साथ ही कराए गए कार्य प्रथम दृष्टया उचित गुणवत्ता के नहीं पाए गए। इससे स्पष्ट है कि उनके द्वारा मनरेगा के क्रियान्वयन में पदीय दायित्वों के प्रति घोर लापरवाही बरती गई है। इसके पश्चात तृतीय श्रेणी अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई हेतु अधिकार जिला कलेक्टर को होने के कारण प्रकरण कलेक्टर भिण्ड को प्रेषित किया गया, जिस पर उनको 10 जनवरी 2025 को कारण बताओ सूचना पत्र इस आशय का जारी किया गया कि मनरेगा पोर्टल पर 9 अक्टूबर 2023 की स्थिति में जिला पंचायत भिण्ड में विगत वर्षों का राशि 34.96 करोड रुपए का सामग्री भुगतान लंबित प्रदर्शित हो रहा है। उक्त लंबित भुगतान में से सुदूर सडक का भुगतान मप्र राज्य रोजगार गारंटी परिषद के पत्र 30 मार्च 2022 अनुसार कार्यपालन यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के माध्यम से कार्य की गुणवत्ता तथा उपयोगिता के परीक्षण उपरांत भुगतान किया जाना है। राज्य स्तर से अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी मप्र राज्य रोजगार गारंटी परिषद द्वारा की गई जांच में पाया गया कि जिला पंचायत भिण्ड में वित्तीय वर्ष 2022-23 तक सामग्री मद पर कुल भुगतान 2232.62 लाख रुपए मनरेगा पोर्टल अनुसार लंबित है। उनके स्तर से उक्त लंबित भुगतान कराये जाने हेतु विशेष प्रयास नहीं किए गए, उनके कार्यकाल में मात्र राशि 806.00 लाख रुपए का भुगतान हुआ है तथा जनपद पंचायत भिण्ड, रौन, अटेर का सामग्री भुगतान किया जा चुका है एवं राशि 394.00 लाख रुपए के बिलों का विलोपित किया गया है।
जिले में विगत वर्षों के गैर अनुमत कार्यों पर राशि 1855.15 लाख रुपए मनरेगा नियमावली के विरुद्ध भुगतान किया गया है। जनपदों से प्राप्त सूचियों का अवलोकन करने से प्रथम दृष्टया यह प्रमाणित है कि उनके द्वारा अपर आयुक्त मनरेगा परिषद की जांच से पूर्व ऐसे गैर अनुमत कार्यों को डिलीट करने हेतु कभी भी परिषद स्तर पर कोई भी कार्रवाई नहीं की है, जबकि परियोजना अधिकारी (मनरेगा) होने के नाते उनका यह दायित्व है कि उनके द्वारा जिले में योजनांतर्गत कार्य की प्रकृति का परीक्षण (मॉनीटरिंग) एएमसी (एनुअल मास्टर सर्कुलर) में अनुमत की श्रेणी का परीक्षण आवश्यक रूप से किया जावे जो उनके द्वारा नहीं किया गया। फलत: राशि 1855.15 लाख के गैर अनुमत कार्यों पर अनियमित भुगतान किया गया। जिसका जबाव उनके द्वारा निर्धारित समयावधि व्यतीत होने के पश्चात 11 मार्च 2025 को दिया गया व कहा गया कि मनरेगा का भुगतान विगत वर्षों का शेष था, जिसे शासन नियम निर्देशानुसार किए जाने हेतु विभिन्न समीक्षा बैठकों में मुख्य कार्यपानल अधिकारी जिला पंचायत के माध्यम से उनके द्वारा समीक्षा के बिन्दु में शामिल किया जाकर सभी मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायतों को निर्देशित किया गया। चूंकि उक्त देयक विगत कई वर्षों से लंबित थे इसमें उनकी कोई भूमिका नहीं थी। उनके द्वारा निरंतर इसके लिए प्रयास किए गए। साथ ही उनके द्वारा निरंतर प्रयास करते हुए 394 लाख रुपए के ऐसे देयक जो भुगतान योग्य नहीं थे उनको विलोपित कराया गया। जनपद भिण्ड, अटेर एवं रौन का 806 लाख का भुगतान उन्हें जब परियोजना अधिकारी का प्रभार मिला उससे पूर्व ही किया जा चुका था। साथ ही जिले में विगत वर्षों में जो 1855.15 लाख रुपए गैर अनुमत कार्यों का भुगतान पूर्व के वर्षों में हुआ है वह भी उनके परियोजना अधिकारी रहते नहीं हुए हैं।
उनके कार्यकाल में न तो कोई गैर अनुमत कार्य की स्वीकृति जिला स्तर से की गई है, न ही कोई भुगतान किया गया है। जिला पंचायत कार्यालय में कर्मचारियों की कमी होने के कारण उनके द्वारा एसबीएम, पंचायत प्रकोष्ठ, शिक्षा, स्थापना शाखा के साथ-साथ अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत का प्रभार होने से सभी शाखाओं का कार्य संपादित किया जा रहा है। पूर्व में मनरेगा परिषद से जारी कारण बताओ नोटिस को तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत द्वारा भी उक्त कारण बताओ सूचना पत्र को नस्तीबद्ध किए जाने का अभिमत दिया गया था।
तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत द्वारा मनरेगा परिषद से राकेश खरे को जारी नोटिस नस्तीबद्ध करने का उल्लेख किया गया है। परंतु मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत का पत्र 14 मार्च 2024 जिसे मनोज कुमार सरियाम द्वारा हस्ताक्षर किया गया है और खरे के जबाव को समाधानकारक बताया गया है जिसके संबंध में वस्तुस्थिति यह है कि मनोज कुमार सरियाम 11 मार्च 2024 को जिले भिण्ड से भारमुक्त किए जा चुके थे। इस प्रकार 14 मार्च 2024 का पत्र मानने योग्य नहीं है, इसकी पृथक से जांच की आवश्यकता है। खरे जिला पंचायत भिण्ड में जुलाई 2023 से 4 जुलाई 2024 तक पदस्थ रहे हैं। खरे द्वारा प्रस्तुत स्पष्टीकरण का परीक्षण किया गया। परीक्षण में पाया गया कि जिले की जनपद पंचायतों में वित्तीय वर्ष 2022-23 तक सामग्री मद का कुल भुगतान राशि 2232.62 लाख रुपए 11 जुलाई 2024 तक मनरेगा पोर्टल अनुसार लंबित है। खरे के कार्यकाल में राशि 806.00 लाख रुपए का भुगतान हुआ है तथा जनपद पंचायत भिण्ड, रौन का सामग्री भुगतान किया जा चुका है एवं राशि 394.00 लाख रुपए के बिलों को विलोपित किया गया है।
जिले में विगत वर्षों के गैर अनुमत्य कार्य राशि 1855.15 लाख रुपए मनरेगा नियमावली के विरुद्ध आहरित किए गए हैं। जनपदों से प्राप्त सूचियों का अवलोकन करने से प्रथम दृष्टया यह प्रमाणित है कि खरे द्वारा अपर आयुक्त मनरेगा परिषद की जांच के पूर्व ऐसे गैर अनुमत्य कार्यों को डिलीट करने हेतु कभी भी परिषद स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं की है, जबकि परियोजना अधिकारी (मनरेगा) होने के नाते यह उनका पदीय दायित्व है कि परियोजना अधिकारी द्वारा जिले में योजनांतर्गत कार्य की प्रकृति का परीक्षण एएमसी (एनुअल मास्टर सर्कुलर) में अनुमत्य की श्रेणी का परीक्षण आवश्यक रूप से किया जाए जो इनके द्वारा नहीं किया गया। फलत: राशि 1855.15 लाख रुपए के गैर अनुमत्य कार्यों पर अनियमित भुगतान किया गया। खरे द्वारा प्रस्तुत जबाव में आरोपों का समाधान नहीं होता है। राकेश खरे जिला समन्वयक एसबीएम जिला पंचायत भिण्ड वर्तमान में किसी वैध संविदा अनुबंध के तहत कार्यरत नहीं है। उनके ऊपर लगाए गए आरोपों की गंभीरता को दृष्टिगत रखते हुए उनके द्वारा बगैर किसी वैध संविदा अनुबंध के किए जा रहे कार्य से पृथक किया जाता है। यह आदेश तत्काल प्रभावशील होगा।