एसएएफ बटालियन मंदिर परिसर में भागवत कथा के दौरान हो रहे हैं प्रवचन
भिण्ड, 07 नवम्बर। हम लोग मन्दिरों में जाकर, छप्पन प्रकार के भोग लगाकर देवताओं को पूजते हैं, लेकिन जो घर में बैठे हैं उन्हें नजरअंदाज कर देते हैं और जाने-अनजाने उनको कष्ट देते हैं। जबकि असली देवता वही हैं। शास्त्रों में भी सबसे पहला देवता मन्दिर में विराजमान भगवान को नहीं बल्कि मां को बताया गया है। मां जैसा अपने बालक को बनाती है बच्चा वैसा ही बनता है। यह बात 17 बटालियन में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन भागवताचार्य पं. सेवाराम उपाध्याय शास्त्री ने कही।
भागवताचार्य ने कहा कि देवता वह है जो देता है। जबकि सबसे पहले हमें जन्म देने वाले माता-पिता ही होते हैं। ऐसे में सबसे पहले देवता वही हैं और हमें सबसे पहले उनकी ही पूजा करनी चाहिए। इसके साथ ही पेड़-पौधे वनस्पति हमें जीवन देते हैं। इसलिए हमें उनकी पूजा करनी चाहिए और सनातन धर्म में वेद पुराणों में भी हमें यही सिखाया जाता है कि सबसे पहले देवता माता-पिता ही होते हैं। उसके बाद पेड़-पौधे वनस्पति। इसलिए उनकी पूजा भी की जाती है। हमारे यहां माता पिता के साथ ही पेड़-पौधों की पूजा करने का विधान भी बताया गया है। ऐसे में हमें पेड़-पौधे भी लगाने चाहिए और मन्दिर में बैठे देवता से पनपे घर-घर में बैठे देवता की पूजा करना चाहिए। आपको बता दें कि 17 बटालियन में महिला मण्डल द्वारा 12 नवंबर तक श्रीमद् भागवत सप्ताय ज्ञान यज्ञ का आयोजन कराया जा रहा है। भण्डार 13 नवंबर को होगा।