-संसाधनों में कमी बताई और नियुक्ति प्रणाली में सुधार की मांग की
भिण्ड, 21 अप्रैल। जिले में आपराधिक न्याय प्रणाली में भूमिका निभाने वाले जीपी और एजीपी (शासकीय अभिभाषक और विशेष लोक अभियोजकों) का प्रतिनिधि मंडल कलेक्टर से मिला। सोमवार को उन्होंने 12 सूत्रीय मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा। इसमें संसाधनों की कमी, कार्य व्यवहार में भेदभाव, प्रशिक्षण, मानदेय वृद्धि और नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता जैसे मुद्दे प्रमुख रहे।
बताया कि भारत न्याय संहिता (बीएनएस) 2023 की धारा 531(2)(ख) के प्रावधानों के विरुद्ध दबाव बनाकर नए पैनल आमंत्रित किए जा रहे हैं, जो कि विधि सम्मत नहीं है। प्रतिनिधियों ने मांग की कि जिन जीपी/ एजीपी की कार्य व्यवहार रिपोर्ट संतोषजनक है, उनके कार्यकाल में तीन वर्ष की विधि अनुसार वृद्धि की जाए। ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि जीपी कार्यालयों में कंप्यूटर, स्टेशनरी, नेट कनेक्टिविटी और कंप्यूटर ऑपरेटर जैसी बुनियादी सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हैं, जबकि डीपीओ कार्यालय को अत्याधुनिक संसाधनों से सुसज्जित किया गया है, इससे न्यायिक कार्र्यों में बाधा उत्पन्न हो रही है।
प्रतिनिधि मण्डल का कहना है कि वर्ष 2022 के बाद मानदेय में कोई वृद्धि नहीं की गई है और वर्तमान दर अत्यधिक न्यूनतम है। कार्य दिवस आधारित हाजिरी प्रणाली को समाप्त कर मासिक निश्चित राशि का भुगतान सुनिश्चित करने की मांग की गई। महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों की तर्ज पर मप्र में भी सम्मानजनक मानदेय और सुविधाएं प्रदान की जाएं। इस अवसर पर वरिष्ठ अधिवक्ता जगदीश प्रसाद दीक्षित (जीपी), सबल सिंह भदौरिया (विशेष लोक अभियोजक), अवधेश कुमार चौधरी, मुकेश विहारी दीक्षित, उत्तम सिंह राजपूत, रामजी लाल शर्मा, शिव कुमार त्रिपाठी, देवेश शुक्ला, दीवान सिंह गुर्जर और कालीचरण उपाध्याय मौजूद रहे।







