प्राकृतिक चिकित्सा में मिट्टी एक विशेष चिकित्सा पद्धति है : आजाद

वसुंधरा श्रंगार युवा मण्डल के नेतृत्व में पर्यावरण की कार्यशाला

भिण्ड, 01 नवम्बर। वसुंधरा श्रृंगार युवा मण्डल के नेतृत्व में दबोह मोड़ स्थित नवीन संस्कार विद्यापीठ स्कूल में मण्डल द्वारा एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें बच्चों को पर्यावरण के महत्व पर चर्चा एवं उसके संरक्षण पर मंथन किया गया। वहीं बच्चों द्वारा ढाई हजार तुलसी के पौधों को थैलियों में तैयार किया गया।
इस मौके पर मण्डल अध्यक्ष हरेकृष्ण शर्मा आजाद ने बताया कि इस प्रकार की कार्यशाला बच्चों में पर्यावरण के प्रति अपनत्व की भावना को जोडऩे का कार्य करेगी वही एक समय था। जब बच्चे मिट्टी में खेला करते थे। लेकिन आज के परिवेश में इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से खेलने के कारण बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में गिरावट आई है और मिट्टी के प्रति अपनत्व का भाव था, उसमें कमी आ रही है, इसलिए हम सभी मिट्टी से जुड़े रहे। क्योंकि प्राकृतिक चिकित्सा के भाषातत्वज्ञ ने बताया कि मिट्टी हमारे जीवन में बचपन के मिट्टी के खेल व मिट्टी के घर से लेकर बड़े होने तक पक्के मकान की ईंट तक कण-कण में समाई हुई है।
धर्मवीर यादव ने बताया कि जो पौधे तैयार किए गए हैं, वह तय समय में संपूर्ण जिले में स्थापित किए जाएंगे, वहीं बच्चों को तुलसी के महत्व के बारे में बताया, क्योंकि तुलसी का पौधा आध्यात्मिक और स्वास्थ्य एवं वैज्ञानिक तीनों ही दृष्टि से एक विशेष महत्व रखता है, इसलिए यह दिव्य पौधा घर-घर में हो ऐसी मंडल की आशा है। विद्यालय के प्राचार्य रविन्द्र श्रीवास ने बताया कि एक साधारण पेड़ प्रति दिन पांच मनुष्यों के सांस लेने जितनी ऑक्सीजन की पूर्ति करता है, जबकि पांच मनुष्य मिलकर एक पेड़ नहीं लगा सकते, उल्टा उनको काटने और पहुंच जाते हैं, कभी कागज के लिए, तो कभी लग्जरी फर्नीचर के लिए, अगर विज्ञान की मानें तो पेड़ कभी भी बड़ी उम्र की वजह से नहीं मारते, वह हमेशा बीमारी कीड़ों या फिर हम मनुष्यों की वजह से ही मरते हैं, अन्यथा यह कभी भी नहीं मरते, देश के अंदर हजारों वर्ष पुराने और अच्छी लगी हुई है जो हमें प्रमाण दे रहे हैं कि ना जाने कितने वृक्षों को हम मनुष्यों ने उनकी अल्प उम्र पर ही काट डाला। इस मौके पर आशुतोष शर्मा आशु, राकेश बघेल, रिंकू राजावत, रितेश, प्रमोद शाक्य एवं समस्त विद्यालय परिवार का सहयोग प्राप्त हुआ।