कविता को नगर से गांव तक ले जाना ही उजास का उद्देश्य है: डॉ. निराला

– ग्राम भारौली में उजास कवि सम्मेलन आयोजित

भिण्ड, 17 नवम्बर। कविता को नगर से लेकर गांव तक ले जाना और नवागत पीढी को इससे जोडना ही उजास का मुख्य उद्देश्य है। कविता जनमानस को प्रेरित करने वाली एक सशक्त विधा है। जब से सृष्टि का संचार हुआ है तब से ही मनुष्य अपने भावों को व्यक्त करने का माध्यम ढूंढता रहा है, निर्मित करता रहा है, इन्हीं माध्यमों में से एक महत्वपूर्ण माध्यम है कविता। साहित्यिक संस्था उजास कविता का वातावरण निर्मित करने को आंदोलन मानती है और मुझे खुशी है कि हमारे अनेक साथी इस आंदोलन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर रहे हैं। यह बात ग्राम भारौली जिला भिण्ड में आयोजित उजास कवि सम्मेलन में कार्यक्रम के सूत्रधार डॉ. सुनील त्रिपाठी निराला ने कही। कवि सम्मेलन का आयोजन बिट्टी देवी-दयाल सिंह राजावत द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञानयज्ञ सप्ताह के दौरान किया गया। जिसका संचालन डॉ. निराला तथा संयोजन सत्येंद्र सिंह राजावत बबेडी ने किया। कविसम्मेलन का आरंभ सरस्वती वंदना से हुआ।
डॉ. निराला ने कहा कि साहित्यिक प्रतिभाओं की किसी भी गांव व शहर में कमी नहीं है, बस आवश्यकता है उनसे संपर्क स्थापित करके उनकी अंतर चेतना को बाहरी दुनिया से परिचित कराना और इसमें तमाम युवा जैसे सतेन्द्र सिंह राजावत, जितेन्द्र त्रिपाठी अमित, आकाश शर्मा, विपिन तोमर साहिल, कृष्णा शर्मा चिराग और अन्य साथी भी बढ-चढकर कर अपना योगदान दे रहे हैं।
तत्पश्चात श्रृंगार के उभरते युवा हस्ताक्षर आकाश शर्मा ग्वालियर ने कहा कि ताल की मछलियां आ गईं धूप में। बेटियां हैं बंधी एक प्रारूप में।। दोहाविधा में लेखनी चलाने वाले जितेन्द्र त्रिपाठी अमित ने कहा कि ‘संसद में हुडदंग है उगल रहे हैं आग। नेताओं के सामने बौने लगते नाग।।’ वीर रस के उभरते कवि विपिन तोमर साहिल ने कहा कि ‘ना कुर्सी का जयघोष और ना किसी के मन को भाता हूं। मैं चंबल का बागी बेटा गीत क्रांति के गाता हूं।’ गजलकार कृष्णा शर्मा चिराग अकोडा की अदायगी उम्दा रही। कवि सतेन्द्र सिंह राजावत ने कहा कि ‘मिली थी जिंदगी किसी के काम आने के लिए। पर गुजर गई कागज़ के टुकडे कमाने के लिए।’ अंत में परीक्षित राजावत परिवार के अनिल राजावत ने सभी कवियों का माल्यार्पण करते हुए सम्मान किया।