बगैर अनुज्ञप्ति के औषधि विक्रय करने वाले को तीन वर्ष की सजा

न्यायालय ने कुल एक लाख 20 हजार का जुर्माना भी लगाया

भिण्ड, 13 दिसम्बर। सत्र न्यायाधीश भिण्ड के न्यायालय बगैर औषधि अनुज्ञप्ति के राज मेडिकल स्टोर पर औषधि विक्रय हेतु रखने वाले आरोपी परमानंद पुत्र हरनाम निवासी गुरुद्वारा के सामने बाराहेड़ पेंड़ा थाना गोहद चौराहा को औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 की धारा 27(ख)(2) में तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं एक लाख रुपए अर्थदण्ड, धारा 28 में छह माह सश्रम कारावास एवं 20 हजार रुपए जुर्माने से दण्डित किया है। प्रकरण में अभियोजन की ओर से पैरवी लोक अभियोजक जगदीश प्रसाद दीक्षित ने की।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भिण्ड के अनुसार प्रकरण का संक्षेप में विवरण इस प्रकार है कि गत 14 जनवरी 2020 को औषधि निरीक्षक श्रीमती डॉ. आकांक्षा गरुड़ को जानकारी मिली कि ग्वालियर रोड बाराहेड पेड़ा गोहद पर राज मेडिकल स्टोर के नाम से एक व्यक्ति बगैर लाईसेंस के औषधियों का संधारण कर विक्रय कर रहा है। सूचना पर से औषधि निरीक्षक श्रीमती आकांक्षा गरुड़ ने मौके पर जाकर परीक्षण किया तो अभियुक्त परमानंद पुत्र हरनाम निवासी गुरुद्वारा के सामने बाराहेड़ पेंड़ा थाना गोहद चौराहा औषधियों का संधारण कर विक्रय हेतु राज मेडिकल स्टोर पर रखे हुए था, जांच के दौरान अभियुक्त के आधिपत्य से औषधियां एवं उन्हें क्रय करने के बिल मौके से जब्त किए गए। अभियुक्त से उक्त औषधियों के विक्रय करने संबंधी लाईसेंस मांगे जाने पर उसके द्वारा कोई लाइसेंस प्रस्तुत न किए जाने पर मौके पर पंचनामा बनाकर प्रारंभिक कार्रवाई की गई। जिसमें जांच के दौरान अभियुक्त को उससे जब्त हुई औषधियों के संधारण के संबंध में जवाब मांगा गया। उसके द्वारा समुचित उत्तर न दिए जाने पर जांच पश्चात औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 की धारा 18ग एवं 18क तथा धारा 27(ख)(2) एवं 28 के अंतर्गत न्यायालय सत्र न्यायाधीश भिण्ड के समक्ष परिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया। जिसमें न्यायालय द्वारा उक्त धाराओं के तहत आरोप पत्र लगाकर प्रकरण का विचारण किया गया। अभियोजन की तरफ से परिवादिया श्रीमती आकांक्षा गरुड़ एवं साक्षिया रेनू बाथम के कथन कराए गए। अंतिम तर्क के पश्चात न्यायालय ने निर्णय घोषित कर अभियुक्त परमानंद पुत्र हरनाम उम्र 36 वर्ष निवासी गुरुद्वारा के सामने बाराहेड़ पेंड़ा, थाना गोहद चौराहा को औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 की धारा 27(ख)(2) में तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं एक लाख रुपए अर्थदण्ड, धारा 28 में छह माह सश्रम कारावास एवं 20 हजार रुपए जुर्माने से दण्डित किया है।