दो संतों के एक मंच पर हुए मांगलिक प्रवचन
भिण्ड, 10 दिसम्बर। भिण्ड की धरा तब धन्य हो उठी जब धर्म नगरी भिण्ड में परम पूज्य जिनागम पथ प्रवर्तक भावलिंगी संत आदर्श श्रमणाचार्य गुरुवर श्री 108 विमर्श सागर महामुनिराज के पावन पवित्र चरण पड़े। गुरुवर के आगमन से मानो सभी नगर वासियों में धर्म की बाढ़ आ गई हो। पूज्य आचार्यश्री के 24वें मुनि दीक्षा रजत संयमोत्सव पर्व को लेकर संपूर्ण नगर में अत्यंत हर्ष-उत्साह देखा जा रहा है। आचार्य श्री विर्मश सागर महामुनिराज का ‘रजत विमर्श संयमोत्सवÓ धर्म नगरी भिण्ड से प्रारंभ होगा।
शनिवार को आचार्य श्री विमर्श सागर मुनिराज ससंघ मुनि श्री प्रतीक सागर मुनिराज के निवेदन पर महावीर चौक पर स्थित श्री 1008 पाश्र्वनाथ जिनालय में पधारे। मुनिश्री ने पूज्य आचार्य श्री विमर्श सागर का भव्य स्वागत किया। आचार्यश्री के साथ मुनिश्री के प्रवचन भिण्ड नगर के महावीर चौक पर हुए। विशाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री प्रतीक सागर ने कहा कि आज हम यहां सत-संत मिलकर बैठे हैं, तो आपको कितनी प्रफुल्लता हो रही है। ऐसा ही वात्सल्य यदि आपके बीच पैदा हो जाए तो आपका घर स्वर्ग बन जाएगा। पूज्य आचार्यश्री का वात्सल्य इतना है कि वह हमें बार-बार मिलने को मजबूर कर देता है। मैं चाहता हूं कि पूज्यश्री का ऐसा ही वात्सल्य मुझे हमेशा मिलता रहे।
मुनिश्री के मंगल उद्बोधन के पश्चात आचार्य श्री विमर्श सागर मुनिराज का महामांगलिक उद्बोधन प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर ने कहा- यह जीव संसार में कर्म से बंधता है उसका कारण है राग भाव। जहां यह राग भाव परिणाम होता है वहां निश्चित तौर पर द्वेष पाया ही जाता है। एक पति अपनी पत्नी के गुणगान करते नहीं थकता, लेकिन जब भोजन करने बैठता है और यदि भोजन में नमक कम है तो पत्नी को अपने क्रोध का ग्रास बना लेता है। यदि पत्नी से प्रेम है तो क्रोध क्यों? इसका तात्पर्य है व्यक्ति किसी वस्तु से राग नहीं करता अपितु अपने अंदर वस्तु के प्रति होने वाले राग अथवा द्वेष करता है। श्रीराम जो सीता हरण के बाद सीता को प्राप्त करने के लिए दर-दर वन-वन भटक रहे और जब सीता प्राप्त हो गई तो एक चांबी के कहने मात्र से श्रीराम ने सीता को जंगल में छुड़वा दिया। इसका तात्पर्य है कि व्यक्ति किसी व्यक्ति से राग नहीं करता मात्र अपने ही राग से राग करता है। आचार्यश्री ने सुखी जीवन जीने का उपाय धर्मसभा में दिया, कहा कि जीवन सुख पूर्वक जीना है तो अपने जीवन में कभी शंका को पैदा मत होने देना। क्योंकि वह धर्म नहीं कर सकता है जो नि:शक्त होता है। सुखी जीवन के लिए ऐसा कार्य कभी मत करना जिसके बाद आपको पछताना पड़े।
आज निकलेगी बाईक रैली
प्रेस को जारी विज्ञप्ति में प्रवक्ता मनोज जैन ने बताया कि 11 दिसंबर रविवार को विशाल बाइक रैली निकलेगी एवं गणिनी आर्यिका विशुद्ध मती माताजी आचार्य संघ का दर्शन करेंगी। 12 दिसंबर को घटयात्रा कीर्तिस्तंभ पहुंचेगी, जहां आचार्यश्री का 13वां आचार्य पदारोहण होगा। 13 दिसंबर को शांतिनाथ भगवान की दिव्यार्चना होगी। 14 दिसंबर को दीक्षा भूमि पर दीक्षा का रजत महोत्सव रात्रिकाल में होगा, प्रसिद्ध कलाकार रुपेश जैन द्वारा भजन संध्या की जाएगी।