भिण्ड, 21 जनवरी। अघौषित बिजली कटौती के नाम पर लोगों की दिनचर्या अस्त व्यस्त हो रही है, साथ ही गलन पैदा करने वाली सर्दी से लोगों का घर से बाहर निकलना दूभर हो रहा है। वहीं बिजली विभाग के अधिकारी-कर्मचारी बिजली कटौती कर लोगों को परेशानी में डालने का काम कर रहे हैं। कड़ाके की सर्दी मे बिजली कटौती होते ही नलों में पानी आना स्वत: ही समाप्त हो जाता है, लोग बूंद-बूंद पानी के लिए भटकते रहते हैं। नहाना धोना तो दूर, पीने तक के लिए पानी नसीब नहीं हो रहा है। मगर बिजली विभाग के अधिकारी-कर्मचारी अपनी हटधर्मी तानाशाही से वाज नहीं आते, बिजली विभाग के तानाशाह रवैया से आमजन इतना त्रस्त हो चुका है कि अब मप्र सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान को ज्ञापन के माध्यम से अवगत कराने पर आ गया कि मेहगांव की जनता द्वारा सदैव भाजपा को भारी बहुमत से बिजयी बनाने का यही सिला मिला है कि बिजली के नाम पर हा-हाकार मचा है और आपकी सरकार के मंत्री और विधायक कोई सुनने को तैयार नहीं, जब से डीई अंकुर गुप्ता ने मेहगांव बिजली आफिस में आमद दी है उसके बाद मेहगांव क्षेत्र की जनता को बिजली सप्लाई में कमी और बिजली बिल बढ़ौतरी के नाम पर दिन प्रतिदिन इजाफा होता जा रहा है, हर रोज शिकायतों के बावजूद भी बिजली विभाग अपने आचरण में बदलाव लाने को तैयार नहीं है, न सरकार में बैठे जनप्रतिनिधियों द्वारा जनता की इस भीषण समस्या के बारे में कोई बात की है, मेहगांव के आमजन का जीवन राम भरोसे चल रहा है।
इनका कहना है-
नगर में अघोषित बिजली कटोती से हम आमजन इतने त्रस्त हो चुके हैं कि बिजली का पता नहीं कब चली जाए, बिजली न होने से नलों में पानी नहीं आता, हम लोगों को पानी के लिए हैण्डपंप पर जाना पड़ता है। हैण्डपंप पर इस भीषण सर्दी मे महिलाओं बच्चों और बुजुर्गों को पानी लाने में बहुत परेशान होना पड़ता है।
राजेश व्यास
भीषण सर्दी मे लोग बूंद-बूंद पानी के लिए परेशान होते रहते हैं, पानी के अभाव में लोगों की दिनचर्या ही बिगड़ जाती है, किसी को ऑफिस जाना है, किसी को दुकान पर जाना है, वह अपना पूरा समय इसी झमेले में खो देता है, समय पर अपना काम करें तो कैसे करें, कई बार शिकायत कर चुके हैं, मगर कोई सुनने वाला नही है।
अखलेश दिघर्रा
बिजली कटौती ने जीना हराम कर दिया है, काम धंधे के लिए जाना हो तो समय पर घर से नहीं निकल पाते, सबसे अधिक समस्या उन बेचारे मजदूरों की है जो रोज कमाते खाते हैं, समय पर मजदूरी करने नहीं जाएंगे तो मजदूरों को कौन मजदूरी देगा, घर पर बैठे रहने से परिवार कैसे चलेगा, कोरोना से बीते साल से ही मजदूर परेशान हैं, जैसे-तैसे मजदूरी करके अपने परिवार का भरण-पोषण भी करे तो सबसे अधिक समस्या बिजली वाले बिजली काट कर पैदा कर रहे हैं,
शिकायत करने पर कोई नहीं सुनता।
सोखीराम जाटव