जिले में सोमवार को धूमधाम से मनेगी दीपावली, घर-घर होगा लक्ष्मी गणेश का पूजन

भिण्ड, 19 अक्टूबर। दीपावली रोशनी का पर्व है, यह त्योहार हर साल कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। दीपावली का पांच दिवसीय पर्व शनिवार को धनतेरस के साथ शुरू हो गया है। जो भाईदूज तक चलेगा। जिले में सोमवार को दीपावली मनाई जाएगी। प्रत्येक वर्ष दीपावली की तिथि को लेकर जनमानस में संशय की स्थिति तब बनती है, जब अमावस्या तिथि दो दिनों तक विस्तृत हो जाती है। वर्ष 2025 में भी यही स्थिति बन रही है, जहां अमावस्या तिथि 20 और 21 अक्टूबर, दोनों दिनों को स्पर्श कर रही है। ऐसे में यह जानना अत्यंत आवश्यक है कि शास्त्रानुसार किस दिन लक्ष्मी-गणेश का पूजन और दीपदान करना श्रेयस्कर एवं शुभ है।
ज्योतिषाचार्य पवनकृष्ण शास्त्री बताते हैं कि धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु और अन्य प्रमुख धर्मग्रंथों में दिए गए नियमों और सिद्धांतों के गहन विश्लेषण के पश्चात निष्कर्ष आया है कि वर्ष 2025 में दीपावली का महापर्व 20 अक्टूबर सोमवार को ही मनाया जाना शास्त्र सम्मत है। दीपावली पूजन की तिथि का निर्णय करने के लिए शास्त्रों का नियम है कि प्रदोष व्यापिनी अमावस्या। इसका अर्थ है कि जिस दिन सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में अमावस्या तिथि उपस्थित हो, उसी रात्रि को लक्ष्मी पूजन किया जाना चाहिए। प्रदोष काल को ही लक्ष्मी पूजन का मुख्य कर्मकाल माना गया है।
शास्त्री ने बताया कि वर्ष 2025 के तंत्रकुल पंचांग के आधार पर 20 अक्टूबर सोमवार को सूर्यास्त लगभग 17.42 बजे, प्रदोष काल का आरंभ 17.42 बजे से, अमावस्या तिथि का आरंभ 15.45 बजे से होगा। इस दिन प्रदोष काल के आरंभ से लेकर संपूर्ण रात्रि तक अमावस्या तिथि की अखंड और संपूर्ण व्याप्ति है। यह लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे आदर्श और शास्त्र सम्मत स्थिति है। 21 अक्टूबर मंगलवार को सूर्यास्त लगभग 17.41 बजे, प्रदोष काल का आरंभ 17.41 बजे से, अमावस्या तिथि की समाप्ति 17.55 बजे होगी। इस दिन प्रदोष काल में अमावस्या की उपस्थिति केवल 14 मिनट की है। यह अवधि एक घटिका (24 मिनट) से भी बहुत कम है। पूजा के कर्मकाल के लिए इतनी अल्प अवधि को केवल स्पर्श मात्र ले सकते हैं। यह दीपावली हेतु पर्याप्त आधार प्रदान करने योग्य नहीं है।
उपरोक्त सभी शास्त्रीय प्रमाणों, तर्कों और पंचांग के गणितीय विश्लेषण से यह निर्विवाद रूप से सिद्ध होता है कि दीपावली का मुख्य पर्व, लक्ष्मी-गणेश पूजन और दीपदान 20 अक्टूबर सोमवार को ही करना शुभ, मंगलकारी और शास्त्र सम्मत है। 21 अक्टूबर को प्रदोष काल में अमावस्या की व्याप्ति एक घटिका भी न होने के कारण उसे लक्ष्मी पूजन के लिए ग्रहण नहीं किया जा सकता। वह दिन अमावस्या के स्नानदान और श्राद्ध कर्मों के लिए मान्य होगा।
दीपावली, शुभ लक्ष्मी पूजन मुहर्त
लाला रामस्वरूप आरसी एण्ड संस पंचांग के अनुसार इस साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर सोमवार को दीपावली पूजन का दिन में 2.38 से 4.7 बजे तक स्थिर कुंभ लग्न का शुभ मुहूर्त है। इसी के बाद शाम 6 बजे तक लाभ और अमृत का चौघड़िया शुभ मुहूर्त है। इसके बाद में 6.30 बजे तक गोधूली की बेला का शुभ मुहूर्त रहेगा, इसके बाद शाम 7.12 रात्रि से 6.8 बजे तक स्थिर वृषभ लग्न का उत्तम मुहूर्त है। इसी के साथ रात्रि 11.22 बजे तक सामान्य उत्तम मुहूर्त रहेगा, रात्रि 11.22 से रात्रि 1.40 बजे तक चर लग्न और निशीथ काल का शुभ मुहूर्त रहेगा।
बाजारों में रही चलह-पहल
दीपावली के त्यौहार के मद्दनजर भिण्ड बाजार में रविवार को काफी चलह-पहल देखने को मिली। बाजारों में ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र से लोग दीपावली की सौदा करने पहुंचे। बाजार में लगी लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां, कलेण्डर, दीये, खीलें-गट्टा, मिठाई, कपड़े, ज्वैलरी, इलैक्ट्रोनिक्स, आतिशबाजी की दुकानों पर खरीददारों की भीड़ रही।
साफ-सफाई में जुटे लोग
दीपावली के त्यौहार को देखते हुए लोगों को अपने-अपने घरों एवं प्रतिष्ठानों की साफ-सफाई कर आकर्षक लाईटिंग करते हुए देखा गया। तो वहीं ग्रामीण क्षेत्र में लोगों ने अपने-अपने घरों रंगाई-पुताई कर घर को सजाया है। वहीं जिले के मन्दिरों में आकर्षक साज-सज्जा की गई है।