भिण्ड, 01 मई। मप्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के आदेशानुसार तथा प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश/ अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण भिण्ड उमेश पाण्डव के मार्गदर्शन में आंगनबाडी केन्द्र रतनुपुरा भिण्ड में विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।
शिविर में मुख्य रूप से उपस्थित न्यायाधीश/ सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण भिण्ड सुश्री अनुभूति गुप्ता ने ग्रामीणजन एवं आगंनबाडी कार्यकर्ताओं को बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 के बारे में बताया कि बाल विवाह एक गंभीर समस्या है, हालांकि यह शहरों की तुलना में गांवों में ज्यादा दिखाई देती है। यह बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन है और उनके जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। बाल विवाह बच्चों के अधिकारों का अतिक्रमण करता है, जिससे उन पर हिंसा, शोषण तथा यौन शोषण का खतरा बना रहात है बाल विवाह लडकियों और लडकों दोनो पर असर डालता है। बाल विवाह को रोकने के लिए शासन द्वारा कठपुतली शो, नुक्कड-नाटक, रैलियां और सेमिनार जैसे विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से जनता में जागरूकता पैदा किए जाने हेतु कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इसके अतिरिक्त यदि किसी बालक का बाल विवाह हो जाता है और वह उसे शून्य घोषित करवाना चाहता है तो वह जिला न्यायालय में अर्जी प्रस्तुत कर सकता है।
जिला न्यायाधीश भिण्ड कौशल किशोर वर्मा ने बताया कि आमजनों को असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए योजना 2015 का मुख्य उद्देश्य असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को उनके अधिकारों के बारें में जागरूक करने, उन्हें संबंधित सुविधाओं का लाभ प्रदान करवाने व उन्हें प्राधिकरण से नि:शुल्क कानूनी सलाह एवं सहायता उपलब्ध करवाना है। इसके अतिरिक्त आमजनों को विभिन्न कानूनी मुद्दों के बारें में भी महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदाय की गई। कार्यक्रम में डिप्टी चीफ एलएडीसी रामवीर सिंह भदौरिया,असिस्टेंट एलएडीसी अधिवक्ता साधना मिश्रा एवं आंगनबाडी केन्द्र रतनुपुरा के समस्त कार्यकर्ता, आशा, सहायिका आदि एवं पीएलही भिण्ड सुमित यादव उपस्थित रहे।