– राकेश अचल
भाजपा की किस्मत अच्छी है या भाजपा की रणनीति, ये कहना कठिन है। लेकिन एक बात तय है कि भाजपा के तरकश में हमेशा एक न एक नया तीर जरूर रहता है। औरंगजेब, राणा सांगा, वक्फ बोर्ड संशोषण कानून के बाद अब भाजपा के हाथ आतंकी तहव्वुर हुसैन राणा लग गया है। तय है कि भारतीय कानून के हिसाब से राणा को उसके गुनाहों के लिए मौत की सजा ही मिलेगी, लेकिन जब ये सजा मिलेगी तब क्या बिहार या बंगाल में विधानसभा के चुनाव भी हो रहे होंगे? या राणा को तब तक जिंदा रखा जाएगा जब तक कि इन दोनों राज्यों के विधानसभा चुनाव संपन्न नहीं हो जाते।
मुंबई 26/11 आतंकी हमलों के मास्टर माइंड तहव्वुर हुसैन राणा को भारत लाने में पूरे 17 साल लग गए। कांग्रेस सरकार द्वारा शुरू की गई कोशिश भाजपा सरकार के समय में पूरी हो पाई। राणा आखिर अमेरिका से भारत आ ही गया। एनआईए ने उसे गिरफ्तार कर पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया और 20 दिन की रिमांड मांगी। अदालत ने 18 दिन की कस्टडी मंजूरी की है। एनआईए ने कोर्ट को बताया कि आपराधिक साजिश के तहत आरोपी नंबर 1 डेविड कोलमैन हेडली ने भारत आने से पहले तहव्वुर राणा से पूरे ऑपरेशन पर चर्चा की थी। हेडली ने राणा को एक ईमेल भेजा, जिसमें बताया कि इस हमले के लिए किस तरह की चीजों की जरूरत है। उसमें सामान और पैसों का ब्यौरा दिया गया था। आपको याद होगा कि मुंबई आतंकी हमलों में 175 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 300 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है। 64 वर्षीय राणा मुंबई हमले के मास्टर माइंड डेविड कोलमैन हेडली का करीबी सहयोगी रहा है।
राणा को 2008 के मुंबई हमलों में सम्मिलित होने के सिलसिले में 2009 में गिरफ्तार किया गया था। राणा जाइलैंड्स-पोस्टेन पर हमले के प्रयास से भी जुडा था, जिसने पैगंबर मुहम्मद के विवादास्पद कार्टून प्रकाशित किए थे। राणा पर एक दर्जन अपराधों के लिए आरोप लगाए गए थे, उनमें से अमेरिकी नागरिकों की हत्या में सहायता करने और उसे बढावा देने का आरोप भी सम्मिलित था। राणा को मुंबई हमलों में प्रत्यक्ष भागीदारी के आरोप से अमेरिकी अदालत ने बरी कर दिया था, लेकिन उसे आतंकवाद के लिए भौतिक सहायता प्रदान करने का दोषी ठहराया गया था। राणा को वर्ष 2013 में 14 वर्ष जेल की सजा सुनाई गई थी।
राणा के भारत पहुंचते ही राजनीति भी शुरू हो गई है। शिवसेना उद्धव ठाकरे पार्टी के नेता संजय राउत ने कहा है कि राणा को मौत की सजा तो मिलेगी, लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव के समय। राउत का आरोप है कि भाजपा राणा का इस्तेमला विधानसभा चुनाव में हथियार के रूप में करना चाहती है। राउत की मांग है कि जिस तरह से राणा का प्रत्यर्पण हुआ है, उसी तरह 2016 में पाकिस्तान में गिरफ्तार किए गए कुलभूषण जाधव का भी प्रत्यर्पण कराया जाना चाहिए। जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने मौत की सजा सुना रखी है, लेकिन उस पर अभी अमल नहीं हुआ है। राउत ने तो भगौडे नीरव मोदी के प्रत्यर्पण कीभी मांग कर डाली। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार राणा के प्रत्यर्पण का श्रेय नहीं ले सकती, क्योंकि राणा के प्रत्यर्पण का अभियान कांग्रेस सरकार के समय शुरू हुआ था।
संदर्भ के लिए आपको बता दूं कि मुंबई हमलों का एक मात्र जिंदा आरोपी अजमल कसाब भारत सरकार द्वारा पहले ही फांसी पर चढाया जा चुका है। कसाब को 21 नवंबर 2012 को फांसी दी गई थी। उस समय देश में कांग्रेस की सरकार थी। तब भाजपा ने कांग्रेस पर कसाब को लम्बे समय तक जेल में बिरियानी खिलने का आरोप लगाया था। यानी राजनीति तब भी हुई थी और आज भी हो रही है, जबकि आतंकियों की गिरफ्तारी और उन्हें दी जाने वाली सजा राजनीति का विषय नहीं है।