– एमिटी विश्वविद्यालय मप्र में विकसित भारत के लिए सतत विकास तकनीक विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ
ग्वालियर, 08 अप्रैल। विकसित भारत 2047 के महत्वाकांक्षी लक्ष्य की प्राप्ति एवं देश के सतत और समावेशी विकास के लिए हम सभी को अपने स्तर पर भागीदारी करनी होगी। यह बात मुख्य अतिथि नगर निगम आयुक्त संघ प्रिय ने एमिटी विश्वविद्यालय में महत्वपूर्ण सतत विकास तकनीकों की चर्चा पर आधारित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ‘सस्टेनेबल टेक्नोलॉजीज फॉर विकसित भारत’ (आईसीएसटी व्हीबी-2025) के अवसर पर कही। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य ऐसी तकनीकों पर विचार-विमर्श करना है जो देश के विकास के साथ-साथ पर्यावरण का संरक्षण भी सुनिश्चित करें।
सम्मेलन के उदघाटन सत्र की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. डॉ. आरएस तोमर ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हमें ऐसा आर्थिक विकास चाहिए जो प्रकृति को नुकसान न पहुंचाए। उन्होंने ‘रिड्यूस, रीयूज और रिसाइकल’ के सिद्धांत को अपनाने की सलाह देते हुए संसाधनों के जिम्मेदार उपयोग पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण हम सभी की जिम्मेदारी है, ताकि हम आने वाली पीढियों को एक बेहतर वातावरण दे सकें।
मुख अतिथि नगर निगम ग्वालियर के आयुक्त संघ प्रिय ने स्मार्ट सिटी मिशन और नगर विकास की विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि निगम आयुक्त के रूप में सुंदर एवं स्वच्छ ग्वालियर बनाना, एवं शहर से कचरे के पहाडों का निस्तारण करना उनकी प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि निगम की योजनाएं आमजन की सक्रिय भागीदारी के बिना पूर्ण नही हो सकतीं। उन्होंने उपस्थित सभी प्रतिभागियों एवं विद्यार्थियों से आव्हान किया कि गीले एवं सूखे कचरे का पृथकीकरण, सार्वजनिक पार्क इत्यादि का रख-रखाव हम सभी की जिम्मेदारी है। सभी इसमें सक्रिय भागीदारी निभाएं। इस अवसर पर सम्मेलन की स्मारिका और ‘एमी एनवायरोंन’ न्यूजलेटर का विमोचन भी किया गया, साथ ही अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किए गए।
प्रो-चांसलर लेफ्टिनेंट जनरल वीके शर्मा, एवीएसएम (सेवानिवृत्त) ने सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा और विज्ञान ही विकसित भारत की असली नींव हैं। उन्होंने पर्यावरण के संरक्षण को विकास की अनिवार्य शर्त बताया और वेस्ट वाटर मैनेजमेंट, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, बायोगैस जैसे विकल्पों को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने बताया कि आज सोलर पंप, एलईडी लाइट्स, ग्रीन बिल्डिंग्स, वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट्स जैसे उपाय न सिर्फ ऊर्जा की बचत कर रहे हैं, बल्कि स्मार्ट सिटी के सपने को साकार करने में मददगार भी हैं। वहीं परिवहन के क्षेत्र में इलेक्ट्रिक वाहन और बायोमास जैसे उपाय प्रदूषण घटाने की दिशा में कारगर साबित हो रहे हैं।
सम्मेलन के विशिष्ट अतिथि, पद्मश्री से सम्मानित प्रो. (डॉ.) अरविंद कुमार, पूर्व कुलपति, रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झांसी ने पर्यावरण संरक्षण और कृषि क्षेत्र में नवाचारों की जरूरत को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कृषि विकास के बिना आर्थिक विकास संभव नही है। उन्होंने सरकार द्वारा किसानों के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की भी चर्चा की।
सम्मेलन के पहले दिन आयोजित तकनीकी सत्रों में विशेषज्ञों ने ज्ञानवर्धक विचार साझा किए। ऑनलाइन सत्र में डॉ. विनय कुमार त्यागी (राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, रुडकी) और डॉ. पीसी अभिलाष (बीएचयू, वाराणसी) ने अपने विचार प्रस्तुत किए, वहीं ऑफलाइन सत्र में डॉ. डीके शुक्ला (यूजीसी-डीएई, इंदौर), प्रो. एस. गणपति वेंकट सुब्रमण्यम (अन्ना विश्वविद्यालय, चेन्नई) सहित अन्य विशेषज्ञों ने नवीनतम अनुसंधानों पर सारगर्भित व्याख्यान दिए। इस अवसर पर प्रो. वाइस चांसलर (रिसर्च) प्रोफेसर डॉ. एमपी कौशिक, डॉ. कुलदीप द्विवेदी, डॉ. स्वप्निल राय, फैकल्टी मेंबर्स एवं बडी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित थे।