भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं के साथ गोवर्धन पूजा की कथा सुनाई

भिण्ड, 03 मार्च। मां रणकौशला देवी मन्दिर परिसर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस कथा वाचक रमाकांत तिवारी ने कहा कि भगवान कृष्ण के पैदा होने के बाद कंस उसको मौत के घाट उतारने के लिए उसके राज्य की सर्वाधिक बलवान राक्षसी पूतना को भेजता है। पूतना भेष बदलकर भगवान कृष्ण को अपने स्तन से जहरीला दूध पिलाने का प्रयास करती है लेकिन भगवान श्रीकृष्ण उसको मौत के घाट उतार देते हैं।
उसके बाद कार्तिक मास में बृजवासी भगवान इंद्र को प्रसन्न करने के लिए पूजन का कार्यक्रम करने की तैयारी करते हैं। भगवान कृष्ण द्वारा उनको भगवान इंद्र की पूजन करने से मना करते हुए गोवर्धन महाराज की पूजन करने की बात कहते हैं। इंद्र भगवान उन बातों को सुनकर क्रोधित हो जाते हैं। वह अपने क्रोध से भारी वर्षा करते हैं, जिसे देखकर समस्त बृजवासी परेशान हो जाते हैं। भारी वर्षा को देखकर भगवान श्रीकृष्ण गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाकर पूरे नगर वासियों को पर्वत के नीचे बुला लेते हैं। लोग भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन महाराज के जयकारे लगने लगते हैं और छप्पन प्रकार का भोग लगाया जाता है। तब इंद्र को भगवान की सत्ता का अहसास हुआ और इंद्र ने भगवान से क्षमा मांगी व कहा कि हे प्रभु मैं भूल गया था कि मेरे पास जो कुछ भी है वह सब आपका ही दिया है।
महाराज ने कहा कि आज-कल की युवा पीढी अपने धर्म अपने भगवान को नहीं मानते है लेकिन तुम अपने धर्म को जानना चाहते हो तो पहले अपने धर्म को जानने के लिए गीता, भागवत, रामायण पढो तो, तुम नहीं तुम्हारी आने वाली पीढी भी संस्कारी हो जाएगी। कथा में राधे कृष्ण गोविंद राधे राधे… भजन पर भक्तों ने खूब आनंद उठाया। यहा बता दें कि भागवत कथा में श्रदालुओ की अपार भीड उमड रही है। आज का प्रसाद वितरण देवी भक्त रामजीशरण कौरव अमाहा हाल निवास डबरा व आज का भंडारा ग्राम कुआरपुरा नं.2 के ग्रामवासियों द्वारा दिया गया। कथा में परीक्षत बनने का सौभाग्य मायादेवी पत्नी स्व. लल्लूप्रसाद खेमरिया को प्राप्त हुआ है।