– राकेश अचल
26 फरवरी को भगवान शिव के विवाह की सालगिरह है। भारत में एक बडी आबादी इसे शिवरात्रि के रूप में मनाती है। हमारे यहां भी इस दिन व्रत रखा जाता है, पूजा अर्चना की जाती है बावजूद इसके की हम ‘अस्नानी’ सनातनी हैं। अर्थात हमने 144 साल बाद पडे महाकुम्भ में डुबकी नहीं लगाईं। अब नहीं लगाईं तो नहीं लगाईं, इससे भोले बाबा नाराज होने वाले नहीं हैं। वे कौन से महाकुम्भ में डुबकी लगाने आए? महाकुम्भ में तो पापियों और मोक्ष की कामना करने वालों ने और सियासी दलों की धमकियों और भबकियों से डरने वाले सनातनियों ने डुबकियां लगाई हैं।
बात भोले बाबा की हो रही है। मुझे भोले बाब सचमुच प्रभावित करते हैं। मैं उनका अनन्य भक्त हूं। मेरी भक्ति किसी राजनीतिक दल या उसके नेता के प्रति नहीं है। मैं अंधभक्त भी नहीं हूं। अंधभक्त किसी को भी नहीं होना चाहिए। भक्ति हमेशा आंखें खोलकर करना चाहिए, फिर चाहे भक्ति किसी भगवान की हो या इंसान की। आजकल लोग भगवान से ज्यादा इंसानों की भक्ति में लीन है, भले ही भगवान नाराज हो जाए। आजकल के अवतारी इंसान भगवान को भी अडानी की तरह घूस देने में नहीं हिचकते। आज-कल के इंसान तो भगवान के भक्तों को बाजार समझते हैं। 1500 करोड निवेश करते हैं और 3 लाख करोड की कमाई कर लेते हैं।
बहरहाल भवन शिव और माता पार्वती को उनके विवाह की वर्षगांठ पर मैं हार्दिक बधाई देता हूं। बधाई उन्हें भी और उनके उन भक्तों को भी जो इस समय प्रयागराज, बनारस और अयोध्या में फंसे हुए हैं और घण्टों की प्रतीक्षा के बाद अपने-अपने आराध्य के दर्शन कर पा रहे हैं। भगवान भोले नाथ भी हैरान हैं कि इस बार भक्तगण उनके ऊपर इतनी कृपा क्यों बरसा रहे हैं? इससे पहले तो इतनी अपार भीड कभी उनके मन्दिर में नहीं आई। बनारस में विश्व गुरू तो अभी आए हैं, लेकिन भोले बाबा यानि भगवान विश्वनाथ तो बनारस में अनंत काल से रमे हैं, जमे हैं। भोले बाबा बोलते नहीं हैं, लेकिन सोचते तो होंगे कि इस अपार भीड के पीछे कोई न कोई खर दिमाग जरूर है।
भोले बाबा त्रिनेत्र कहे जाते हैं। उनका तीसरा नेत्र जब-तब खुलता है। यदि खुलता है तो कामदेव मारा जाता है। भस्म हो जाता है, क्षार-क्षार हो जाता है, लेकिन भगवान भोले उसके ऊपर भी कृपा करते हैं और उसे अनंग बना देते हैं जो बिना शरीर के भी सभी में व्याप्त हो जाता है। लगता है कि कलिकाल में बहुत से लोग हैं जो कामदेव की गति हासिल करना चाहते हैं। उन्हें ‘अनंग’ होने की चाह है। वे लोकतंत्र के भुजंग तो बन गए हैं, लेकिन अनंग नहीं बन पा रहे। भोले बाबा को खुश करने के लिए उनके भुजंग भक्तों ने बनारस हो या उज्जैन दोनों ठिकानों पर कॉरिडोर और भव्यदिव्य लोक बना दिए हैं, लेकिन भोले बाबा खुश नहीं हो रहे। बेचारों को बैशाखियां लगाकर अपनी सरकार चलना पड रही है।
मुझे याद है कि भोले बाबा ने कभी किसी को वैष्णव या शैव्य होने के लिए अपनी और से नहीं कहा। उन्हें सभी प्रिय हैं। हां उन्हें सपने में वे लोग बिल्कुल पसंद नहीं जो उनके आराध्य कौशलेश के नाम पर सियासत करने से भी बाज नहीं आए। भोले बाबा उनसे भी खफा हैं जिन्होंने अयोध्या, बनारस और संगम को टकसाल में बदल दिया है। आज की पीढी टकसाल के बारे में नहीं जानती। टकसाल का मतलब नोट छापने का कारखाना होता है। आज-कल भारत में नोट छापने के कारखाने धर्म स्थलों पर ही कामयाब हैं। भोले बाबा हिमाचल के दामाद हैं, इसलिए हिमाचल वालों पार ज्यादा खुश रहते हैं। वहां उन्होंने नकली भक्तों की सरकार तक नहीं बनने दी। बन गई तो गिरने नहीं दी। भले ही हिमाचल में कंगना खूब सक्रिय रहीं।
भगवान भोले नाथ को उनकी शादी की सालगिरह पर हालांकि भक्तों को उपहार देना चाहिए, लेकिन मैं भगवान भोलेनाथ से एक वर मांगता हूं कि वे एक तो महाकुम्भ में जाम से आहत लोगों पार अपनी कृपा बरसाएं और जितनी जल्दी हो अपना तीसरा नेत्र खोलकर इतना उजास कर दें, ताकि भक्तों की आंखों की रौशनी वापस लौट आए। वे देख सकें कि उन्हें ठगने वाले लोग कौन हैं? उनके वोट लूटने वाले लोग कौन हैं? ट्रम्प साहब से 182 करोड रुपए लेने वाले कौन हैं? विश्वनाथ के होते विश्वनाथ बनने की कोशिश करने वाले कौन हैं? वे कौन हैं जो भारतभूमि पर इंसानों के बीच जाती-धर्म की विभाजक रेखा खींच रहे हैं।
आपको बता दूं कि मैं जब पहली बार अमेरिका गया था, तब मैंने अटलांटा में डनवुडी में भोले बाबा के एक मन्दिर का नाम डनवुडेश्वर रखने की सलाह दी थी। क्योंकि भोले बाबा के भक्त उन्हें किसी भी स्वरूप में स्वीकार करने में हर्षित होते हैं। पहली बार जिन सरकारी ज्योतिषियों ने कुम्भ को महाकुम्भ बनाने की साजिश रची थी, उनका ही कहना है कि महाशिवरात्रि का त्योहार तीन मूलांक के जातकों के लिए बेहद शुभ साबित होने वाला है। कहते हैं कि मूलांक 1, 3 और 8 वालों पर महादेव की कृपा बरसेगी। बकौल ज्योतिषियों के मूलांक 8 के स्वामी ग्रह शनि हैं और यह किसी से छिपा नहीं कि शनिदेव शिवजी के कितने बडे भक्त हैं। ऐसे में मूलांक 8 के जातकों को इस महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ की खूब कृपा बरसेगी। जातक को मानसिक शांति मिलेगी साथ ही सेहत में भी सकारात्मक प्रभाव पड सकते हैं। महाशिवरात्रि के बाद का समय जातक के लिए अति सुख में बीतने वाला है।
मूलांक 1 के जातकों के लिए महाशिवरात्रि का पर्व अच्छे दिन लेकर आ रहा है। सूर्य ग्रह के मूलांक 1 के जातकों पर भगवान शिव विशेष कृपा करेंगे। जातक के कार्यों की तारीफ हो सकती है। पुरानी योजना पर काम शुरू कर सकते हैं। महाशिवरात्रि के बाद पारिवारिक जीवन भी अच्छा होने वाला है। मूलांक 2 का स्वामी चंद्रमा है, ऐसे में इस मूलांक के लोगों पर शिवजी की कृपा हमेशा बनी रहती है। दरअसल चंद्रमा भी महादेव के परम भक्त माने गए हैं। किसी भी महीने में 2, 11, 20 और 29 तारीख को जन्में लोगों का मूलांक 2 होता है। ये लोग महाशिवरात्रि की पूजा के बाद से ही अपने लक्ष्य को पाने में सफल रहेंगे। हमारे प्रधानमंत्री जी का मूलांक 8 है, उनके लिए ये शिवरात्रि शुभ है, लेकिन राहुल गांधी का मूलांक 10 और मेरा मेरा मूलांक तो 7 है, इसलिए मुझे तो कुछ मिलने वाला नहीं है, किन्तु जिन्हें कुछ मिलने वाला है उन्हें और बांकी सभी को शिवरात्रि की हार्दिक बधाइयां।