कभी टोले से डरती है, कभी झोले से डरती है

– राकेश अचल


आज-कल जैसे संसद में मुद्दों पर काम नहीं हो रहा, उसी तरह मुझे भी लिखने के लिए ऐसे मुद्दे मिल रहे हैं जिनके बारे में लिखने में मुझे तकलीफ होती है। आज मैं फिर उस गैर जरूरी मुद्दे पर लिख रहा हूं उसके बारे में लोकसभा का कीमती वक्त तो अभी बर्बाद नहीं हुआ, लेकिन भाजपा का कीमती वक्त जरूर बर्बाद हो गया। मुद्दा था कांग्रेस सांसद प्रियंका वाड्रा का झोला। जी हां, झोला। हमारी प्रिय भाजपा के पास किसानों के मुद्दों पर बहस के लिए वक्त नहीं है, लेकिन प्रियंका के झोले को लेकर पूरी सरकारी पार्टी बहस में उलझ गई।
किस्सा यूं है कि प्रियंका वाड्रा लोकसभा में जो झोला लटका कर गईं उसके ऊपर फिलिस्तीन अंकित था और फिलस्तीन का खरबूजा वाला ध्वज भी। बस यही भाजपा को खटक गया। इस कदम की भाजपा ने आलोचना की और उनके इस कदम को ‘तुष्टिकरण’ करार दिया। बीजेपी सांसद संबित पात्रा ने प्रियंका गांधी पर निशाना साधते हुए कहा, ‘गांधी परिवार तुष्टिकरण का झोला ढो रहा है।’ उन्होंने कहा, इसी तुष्टिकरण की वजह से उन्हें (कांग्रेस) चुनावों में हार मिली है।
भाजपा द्वारा की गई झोले की आलोचना के बाद प्रियंका भी कहां चुप रहने वाली थीं। उन्होंने पलटवार करते हुए कहा कि यह आलोचना ‘पितृसत्ता’ है, जहां उन्हें बताया जा रहा है कि क्या पहनना है और क्या नहीं पहनना है। उन्होंने कहा, मैं पितृसत्ता का समर्थन नहीं करती, मैं वही पहनूंगी जो मैं चाहती हूं।
आपको याद होगा कि इससे पहले केन्द्रीय संसदीय कार्य मंत्री भाई किरेन रिजिजू प्रियंका के भाई राहुल गांधी की टीशर्ट पर आपत्ति कर चुके हैं। वे कह चुके हैं कि राहुल टीशर्ट पहनकर संसद का अनादर करते हैं। दरअसल भाजपा राहुल गांधी से तो पहले से डरी हुई थी और अब प्रियंका के लोकसभा में आने के बाद भाजपा का डर दोगुना हो गया है। तभी तो कभी भाजपा को राहुल के टीशर्ट के बाहर झांकते ‘टोले’ परेशान करते हैं तो कभी प्रियंका के कंधे पर लटका झोला।
संविद पात्रा के बाद भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने प्रियंका को ‘राहुल गांधी से भी बडी आपदा’ कहा है। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, इस संसद सत्र के अंत में कांग्रेस में सभी के लिए दो मिनट का मौन रखें, जो मानते थे कि प्रियंका वाड्रा लंबे समय से प्रतीक्षित समाधान थीं, उन्हें पहले ही इसे अपना लेना चाहिए था। वह राहुल गांधी से भी बडी आपदा हैं, जो सोचते हैं कि संसद में फिलिस्तीन के समर्थन में बैग लेकर चलना पितृसत्ता से लडना है। यह सही है। मुसलमानों को सांप्रदायिक सदगुणों का पैगाम देना अब पितृसत्ता के खिलाफ रुख के रूप में सामने आ रहा है! कोई गलती न करें, कांग्रेस नई मुस्लिम लीग है।
आपको याद हो या न हो किन्तु मैं बता दूं कि पिछले सप्ताह नई दिल्ली स्थित फिलिस्तीनी दूतावास के चार्ज डिअफेयर्स ने प्रियंका गांधी से मुलाकात कर उन्हें वायनाड से सांसद निर्वाचित होने पर बधाई भी दी थी। पूर्व में कांग्रेस नेता गाजा में इसराइली बमबारी की निंदा भी कर चुकी है। भाजपा के ही सांसद अनुराग ठाकुर जो पहले कभी केन्द्र में मंत्री होते थे वे भी प्रियंका के फिलिस्तीनी झोले से आतंकित हैं। उन्होंने कहा कि प्रियंका केवल फैशन स्टेटमेंट बनाने में लगी रहती हैं। उन्होंने बांग्लादेश में हिन्दुओं के ऊपर हो रहे अत्याचार के बारे में तो कुछ नहीं बोला। भाजपा के तमाम छोटे-बडे नेता प्रियंका के झोले को लेकर प्रियंका को कोस रहे हैं।
दरअसल प्रियंका के झोले ने भारत सरकार को फिलिस्तीन के मामले में कटघरे में ला खडा किया है। भारत सरकार अभी तक ये तय नहीं कर पाई है कि वो भारत के पुराने मित्र फिलिस्तीन के साथ है या इजराइल के साथ? फिलिस्तीन के मामले में नेहरू और इन्दिरा गांधी के युग में जो नीति थी उसे अटल जी के युग में भी दोहराया गया, लेकिन मोदी युग में फिलिस्तीन को लेकर भारत की नीति अचानक बदल गई। भारत अब फिलिस्तीनियों के संघर्ष और उनके मानवीय अधिकारों का दमन करने वाले इजराइल के साथ खडा है। भारत ने इजराइल के फेर में फिलिस्तीन को एकदम भुला दिया है, क्योंकि फिलिस्तीन में इजराइली बर्बरता का शिकार हो रहे लोग मुसलमान हैं।
मुमकिन है कि कांग्रेस की संसद प्रियंका वाड्रा ने एक झोले के जरिये फिलिस्तीन मुद्दे को जिस ढंग से उठाया है, उसके बारे में आज नहीं तो कल संसद में भी बहस हो। संसद में बहस हो या न हो, लेकिन संसद के बाहर तो ये बहस शुरू हो गई है। बहस इस बात पर भी हो रही है कि क्या अब विपक्षी सांसदों को भाजपा यानि भाजपा सरकार से पूछना होगा की वे कौन से कपडे पाहणकर संसद में आएं और कौन से कपडे न पहने? कौन सा झोला लटकाएं और कौन सा नहीं?
आपको याद होगा कि भाजपा पहले भी लोगों के खान-पान और पहनावे को लेकर सवाल खडे करती रही है। कभी उसके निशाने पर हिजाब रहता है तो कभी हलाल और गैर हलाल किया हुआ भोजन। असम में भाजपा की डबल इंजिन की सरकार होटलों में गौमांस बेचने पर प्रतिबंध लगा चुकी है, लेकिन देश से गौमांस बाहर भेजने पार कोई प्रतिबंध नहीं है। उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार को हलाल के मुद्दे पर तकलीफ रही है। कर्नाटक में भाजपा और उसके सहयोगी हिजाब पार तेजाबी रुख अख्तियार कार चुके हैं। लेकिन किसानों, मजदूरों के मुद्दे पर भाजपा का कोई प्रवक्ता, कोई नेता या संसद अपना मुंह नहीं खोलता।
राहुल की टीशर्ट और प्रियंका के झोले से बौखलाई भाजपा का डर लोकसभा में इस जोडी की वजह से दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है। भाजपा ने राहुल गांधी को पप्पू साबित करने में अपनी तमाम ताकत झौंक दी थी, लेकिन आम चुनाव में राहुल की अगुवाई में विपक्षी गठबंधन ने जो शानदार कामयाबी हासिल की थी, उसे कोई भूला नहीं है। अब प्रियंका के लोकसभा में आने के बाद भाजपा को भय है कि कहीं प्रियंका भाजपा को बेनकाब करने में राहुल से भी आगे न निकल जाएं, इसलिए अब भाजपा प्रियंका के पहनावे के साथ ही उनके झोले पर भी निगाह रखने लगी है।
हाल के दिनों में आपने देखा होगा कि पहले राहुल गांधी ने भाजपा की सरकार को संविधान के मुद्दे पर अपने पाले में खींचा और अब फिलिस्तीन के मुद्दे पर प्रियंका वाड्रा ने महज एक झोला लटकाकर भाजपा और भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार को कटघरे में खडा कर दिया है। संविधान के मुद्दे पर तो प्रधानमंत्री जी लोकसभा में एक भाषण देकर फारिग हो गए, लेकिन फिलिस्तीन के मुद्दे पर अभी तक सरकार ने चुप्पी साध रखी है, लेकिन आज नहीं तो कल भाजपा सरकार को इस मुद्दे पर बोलना ही पडेगा। हालांकि हमारी सरकार मौनव्रती सरकार है। वो डेढ साल से मणिपुर के मुद्दे पर मौन है, किसानों के मुद्दे पर मौन है।