भिण्ड, 10 दिसम्बर। भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों का उल्लेख किया गया है भारतीय और वैश्विक परिप्रेक्ष्य में मानवाधिकार का बहुत बडा महत्व है और अधिकारों की श्रृंखला में मानवाधिकार को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। उक्त बात हम फाउण्डेशन सिटी एवं विवेकानंद शाखा द्वारा विश्व मानव अधिकार दिवस के अवसर पर चौधरी दिलीप सिंह कन्या महाविद्यालय के परिसर में संबोधित करते हुए देवेन्द्र सिंह चौहान ने कही। इस अवसर पर हम फाउण्डेशन के प्रदेश अध्यक्ष प्रो. इकबाल अली, प्रांतीय संगठन मंत्री शैलेश सक्सेना, सिटी शाखा अध्यक्ष अरविंद सिंह भदोरिया, कोषाध्यक्ष संतोष सिंह नरवरिया, दिलीप सिंह महाविद्यालय के प्राचार्य अनिल भटनागर, प्रो. सीएन दुबे, प्रो. सतीश श्रीवास्तव आदि उपस्थित थे।
उन्होंने कहा कहा कि संयुक्त राष्ट्र के अनुसार मानव अधिकार वे अधिकार हैं जो हमारे पास केवल इसलिए हैं क्योंकि हम मानव हैं, वे किसी भी राजा द्वारा प्रदान नहीं किए गए हैं। वे राष्ट्रीयता, लिंग, जातीय मूल, रंग, धर्म, भाषा या किसी अन्य के कारण भेदभाव किए बिना ये सार्वभौमिक अधिकार हम सभी के लिए प्रकृति प्रदत्त हंै।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे दिलीप सिंह कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य अनिल भटनागर ने कहा कि सैद्धांतिक तौर पर इन अधिकारों का अतिक्रमण विश्व के किसी भी देश या किसी भी सरकार के द्वारा नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति के आचार विचार में सदियों से बीमार लाचार वृद्ध माता-पिता की देखभाल आदि हमारी सभ्यता के हिस्से रहे हैं।
हम फाउण्डेशन के प्रदेश अध्यक्ष प्रो. इकबाल अली ने कहा कि मानव अधिकार सिद्धांत की संकल्पना सदियों पुरानी प्राचीन काल से चली आ रही है। उन्होंने बताया कि 10 दिसंबर 1948 को मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा को अंगीकृत किया गया। एकता समाजिक-आर्थिक नवीनीकरण और राष्ट्रीय निर्माण का वर्ष है। यह दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण वैश्विक प्रतिज्ञाओं में से एक की वर्षगांठ का स्मरण करता है।







