भिण्ड, 19 अक्टूबर। जब किसानों को खाद की जरूरत नहीं थी, तब सरकार में बैठे लोग दावे कर रहे थे कि खाद की कोई कमी नहीं है और अतिवर्षा से हुए नुकसान का सबको मुआवजा मिलेगा। लेकिन जब किसान की बोवनी का समय आया, तो सरकार और प्रशासन ने हाथ खडे कर दिए। यह बयान प्रदेश के किसान सभा के जिला महासचिव राजेश शर्मा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दिया।
उन्होंने कहा कि अतिवर्षा से हुए नुकसान के मुआवजे की तो चर्चा ही सरकार ने बंद कर दी है। सरकार के अधिकारी कहने लगे कि डीएपी की जगह एनपी का उपयोग करें। अब एनपी भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा। किसान तीन-तीन दिन से लाईनों में लगा रहे हैं। जिला प्रशासन की गाईड लाईन के अनुसार प्रति खातेदार को पांच बोरी यूरिया, चार बोरी एनपी व एक बोरी डीएपी दिया जाना है। इस स्थिति से 10 बीघा से ज्यादा के काश्तकारों को तो अपनी जमीन बंजर ही छोडना पडेगी। लिहाजा सरकार को रकबे के हिसाब से खाद देना चाहिए। लेकिन इस वर्ष सरकार के इस फरमान की वजह से किसान बर्बाद हो रहे हैं। एक तरफ खेती में नमी खत्म हो रही है। सरसों की बोनी का समय निकलता जा रहा है, तो दूसरी तरफ किसानों को खाद उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। किसान की चिंता लगातार बढती जा रही है।
उन्होंने अतिवर्षा से किसानों की फसलें बर्वाद होने पर कहा कि बिरखडी सहित कई दर्जन गांवों में धान की फसल बर्वाद हो चुकी है, लेकिन प्रशासन का कोई भी नुमाइंदा सर्वे तक करने नहीं पहुंचा। इसके लिए गोहद सर्किल के तहसीदार एवं गोहद एसडीएम जिम्मेदार हैं। इनसे बार बार कहने पर भी इन्होंने सर्वे दल नहीं भेजा। उन्होंने कहा कि हमारे संगठन द्वारा लोकतांत्रिक तरीके से लगातार सरकार और प्रशासन का ध्यान आकर्षित कराया गया है। लेकिन सरकार और प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। उन्होंने सरकार और प्रशासन को जगाने के लिए 21 अक्टूबर को गोहद एसडीएम कार्यालय पर प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है।