संस्कारों को जीवित रखने का कार्य कर रहा है भाविप : श्रीवास्तव

-भारत विकास परिषद का गुरूवंदन छात्र अभिनंदन कार्यक्रम आयोजित

भिण्ड, 10 सितम्बर। संस्कारों को जीवित रखने में भारत विकास परिषद की भूमिका अग्रणी है। सही मायने में इनके कार्य स्तुतीय हैं। गुरूवंदन छात्र अभिनंदन कार्यक्रम में भी संस्कारों को सहेजने की बात है। ऐसे कार्यक्रमों में लगता है कि अभी भी समाज में संस्कारों को पोषण करने में निरंतर लोग सेवा में हैं। यह बात वरिष्ठ पत्रकार भानु श्रीवास्तव ने भारत विकास परिषद शाखा भिण्ड द्वारा वेदांता इंटरनेशनल स्कूल में आयोजित गुरूवंदन छात्र अभिनंदन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि की आसंदी से कही। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल शर्मा ने की एवं प्राचार्य श्रीमती सीमा मल्होत्रा मंचासीन रहीं। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों ने भगवान गणेशजी एवं मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण, दीप प्रज्वलन कर किया। जिसके उपरांत शाखा अध्यक्ष कमलेश सैंथिया ने भारत विकास परिषद के पांच सूत्र संपर्क, सहयोग, संस्कार, सेवा, समर्पण पर प्रकाश डालते हुए सभी को परिषद की परिकल्पना, कार्यों एवं गुरु बंदन छात्र अभिनंदन कार्यक्रम के वारे में अवगत कराया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल शर्मा ने कहा अपने माता-पिता गुरुओं का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि उनके आशीर्वाद से ही अपने जीवन में सफलता पाने में सक्षम हो सकेंगे, बच्चों में विनम्रता का भाव विकसित करना इसका मूल्य भाव है। कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों को शाखा उपाध्यक्ष जयप्रकाश शर्मा ने गुरूवंदन छात्र अभिनंदन अंतर्गत सामूहिक रूप से सदाचार व गुरुओं के सम्मान की शपथ दिलाई। संचालन शाखा सचिव राजमणि शर्मा एवं आभार प्रदर्शन जयदीप सिंह राजावत ने किया।
कार्यक्रम में विद्यालय परिवार से उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों रुद्रप्रताप, आराध्या राठौर, आयुष्मान भदौरिया, आकांक्षा राजावत, देवराज गुप्ता, कशिश खरे, मालती मिश्रा को अतिथियों द्वारा प्रमाण पत्र व मैडल, अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर एवं आगामी शिक्षक सम्मान हेतु विद्यालय परिवार से शिक्षिका पारूल श्रीवास्तव, प्रियंका चतुर्वेदी को नामांकित कर सम्मानित किया गया। राष्ट्रीय गान के उपरांत कार्यक्रम का समापन हुआ। कार्यक्रम में कोषाध्यक्ष वीरेन्द्र जोशी, अशोक शर्मा एवं शिक्षक-शिक्षकाएं सहित एक सैंकडा से अधिक छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।