वाह ताज! वाह!! तुम पवित्र हो गए

– राकेश अचल


मेरा सौभाग्य है कि मुझे प्रतिदिन लिखने के लिए अभी तक विषयों का, मुद्दों का अभाव महसूस नहीं हुआ। विविधताओं से भरे हमारे देश में मुद्दों का अक्षय भण्डार है। एक मुद्दा खोजिये तो हजार मिलते हैं। मुद्दे केवल राजनीतिक ही नहीं होते। उनका स्वरूप भी विविधतापूर्ण है। आज मेरे पास मुद्दे के रूप में कट्टरता कहिये या मूर्खता का मुद्दा है और इस मुद्दे के केन्द्र में आगरा का ताज महल है। आगरा का ताज महल एक इमारत भी है। एक इतिहास भी है और एक बाजार भी है। ताज महल कुछ लोगों के लिए प्रेम है तो कुछ लोगों के लिए घृणा भी है।
ताज महल के प्रति घृणा से भरे कुछ युवकों ने ताज महल के गर्भगृह में बनी शाही मजारों को गंगाजल से धो डाला, ये युवक समझते हैं कि ताज महल एक शिवालय है। उन्होंने ऐसा कर हिन्दू धर्म की बहुत बडी सेवा की है। दोनों युवकों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस की भी मजबूरी थी कि यदि वो इन युवकों को गिरफ्तार न करती तो उसके भी कूढ मगज होने की बातें होने लगतीं। कानून के हिसाब से एएसआई द्वारा संरक्षित किसी भी इमारत में किसी भी तरह की धार्मिक गतिविधि अपराध है। यहां गंगाजल चढाना भी इसीलिए अक्षम्य है। इन युवकों का कुछ बिगडने वाला नहीं है। इन्हें आसानी से जमानत मिल जाएगी, ठीक उसी तरह जिस तरह की इन युवकों को मजारों पर गंगाजल चढाने से तात्कालिक सुर्खियां मिली हैं।
भारत में हमेशा से हिन्दुओं का राज नहीं रहा। इतिहास बताता है कि भारत पर अलग-अलग कालखण्ड में अलग-अलग जातियों के लोगों ने राज किया है। लेकिन हमारे देश में कुछ लोग ही नहीं बल्कि बहुत से लोग ये मानते हैं कि गैर हिन्दुओं ने उनके हिन्दू प्रतीकों को नष्ट कर नए निर्माण कार्य किए हैं। इसमें हकीकत भी है और नहीं भी। पिछले अनेक दशकों से देश में ऐसे विवादास्पद निर्माणों को लेकर अदालती लडाइयां भी लडी जा रही हैं। उन्हें जीता और हारा भी जा रहा है। राम जन्मभूमि हो या कृष्ण जन्मभूमि इस विवाद के प्रतीक हैं। हमारे देश के हिन्दू धर्म के ठेकदार लगातार इन स्थलों को हासिल करने के लिए लडाई लड रहे हैं। भोजशाला भी एक ऐसा ही स्थान है।
मैं बात कर रहा था उस ताज महल की जिस पर किताबें भी लिखी गईं। नज्में भी लिखी गईं। फिल्में भी बनीं और अनेक उपन्यास भी लिखे गए। ताज महल के बारे में हिन्दुस्तान का हर व्यक्ति जानता है, फिर चाहे वो उत्तर का हो या दक्षिण का। पूरब का हो या पश्चिम का रहने वाला भारतीय। हमें बताया गया है कि उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा शहर में स्थित एक विश्व धरोहर मकबरा और विश्व के सात अजूबों में से एक है। ताज महल का निर्माण 17वीं सदी में मुगल सम्राट शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में करवाया था।
मेरा मकसद ताज महल कि बारे में आपका सामन्य ज्ञान बढाना नहीं है। मैं तो आपको उन कब्रों कि बारे में बता रहा हूं जिन्हें गंगाजल से धोया गया है। गूगल महाराज कहते हैं कि मुस्लिम परंपरा के अनुसार ताज महल में शाहजहां एवं मुमताज महल के पार्थिव शरीर इसके नीचे तुलनात्मक रूप से साधारण, असली कब्रों में दफन हैं, जिनके मुख दांए एवं मक्का की ओर हैं। मुमताज महल की कब्र आंतरिक कक्ष के मध्य में स्थित है, जिसका आयताकार संगमर्मर आधार 1.5 मीटर चौडा एवं 2.5 मीटर लम्बा है। आधार एवं ऊपर का श्रृंगारदान रूप, दोनों ही बहुमूल्य पत्थरों एवं रत्नों से जडे हैं। इस पर किया गया सुलेखन मुमताज की पहचान एवं प्रशंसा में है। इसके ढक्कन पर एक उठा हुआ आयताकार लोजैन्ज (र्होम्बस) बना है, जो कि एक लेखन पट्ट का आभास है।
शाहजहां की कब्र मुमताज की कब्र के दक्षिण ओर है। यह पूरे क्षेत्र में एकमात्र दृश्य असम्मितीय घटक है। यह असम्मिती शायद इसलिए है कि शाहजहां की कब्र यहां बननी निर्धारित नहीं थी। यह मकबरा मुमताज के लिए मात्र बना था। यह कब्र मुमताज की कब्र से बडी है, परंतु वही घटक दर्शाती है- एक वृहततर आधार, जिस पर बना कुछ बडा श्रंगारदान, वही लैपिडरी एवं सुलेखन जो कि उनकी पहचान देता है। तहखाने में बनी मुमताज महल की असली कब्र पर अल्लाह के 99 नाम खुदे हैं जिनमें से कुछ हैं ‘ओ नीतिवान, ओ भव्य, ओ राजसी, ओ अनुपम, ओ अपूर्व, ओ अनंत, ओ अनंत, ओ तेजस्वी…’ आदि। शाहजहां की कब्र पर खुदा है; उसने हिजरी के 1076 साल में रज्जब के महीने की 26वीं तिथि को इस संसार से नित्यता के प्रांगण की यात्रा की।
आगरा के एडीसीपी सिटी सूरज राय ने बताया कि ताज महल में शनिवार को दो युवकों ने गंगाजल चढाया है। दोनों युवक गंगाजल बोतल में लेकर पहुंचे थे। ऐसे में वहां पर सुरक्षा में तैनात जवानों को पता नहीं चल पाया है। दोनों युवकों के अखिल भारत हिन्दू महासभा से जुडे होने का दावा किया जा रहा है। श्रवण माह में गंगाजल शिवालयों में चढाया जाता है। मुझे लगता है कि हिन्दू युवकों कि इस कृृत्य से शाहजहां और मुमताज बेगम की आत्माएं तृप्त हो गई होंगी। असली समस्या तो ताज महल की सुरक्षा करने वाली सीआईएसएफ के अफसरों की है, जो कि एक शाही मकबरे की हिफाजत नहीं कर पाए। वैसे हमारी सरकार यदि अपने विरोधियों की एसपीजी सुरक्षा हटा लेती है तो वो दिन भी दूर नहीं जब ताज महल पर तैनात सुरक्षा को भी देशहित में हटा लिया जाए।
मेरे ख्याल से इन युवकों को तत्काल रिहा कर देना चाहिए, क्योंकि ये न हिन्दू धर्म के बारे में जानते हैं और न दूसरे धर्मों के बारे में। हिन्दू धर्म में गंगाजल का इस्तेमाल भगवान शिव का अभिषेक करने के लिए होता है न कि किसी मकबरे को धोने के लिए। हिन्दू धर्म किसी दूसरे मजहब के किसी भी स्थल को अपवित्र करने की इजाजत भी नहीं देता। ये इजाजत कुछ कूडमगज संगठन और पार्टियां देती हैं। वैसे ये उत्तर प्रदेश है यहां तो मुख्यमंत्री निवास भी सत्ता परिवर्तन कि बाद गंगाजल से धोने की परम्परा है।
ताज महल 371 साल से आगरा में निर्विकार भाव से खडा है। उसे देखने देश-विदेश से असंख्य लोग आते हैं। पिछली सदियों में ऐसा कोई शासक पैदा नहीं हुआ जिसने ताज महल की शान में कोई गुस्ताखी की हो। लेकिन ये कलिकाल का मोदी काल है, इसमें ताज महल के साथ कुछ भी होना संभव है। जब अफगानिस्तान में तालिबानी बामियान की बुद्ध प्रतिमाओं को बारूद से उडा सकते हैं तो हिन्दुस्तान में यदि कोई सिरफिरा निजाम ताज महल को भी नेस्तनाबूद करने का फैसला सुना दे तो आप कुछ नहीं कर सकते। फिलहाल ऊपर वाले का करम है कि ताज महल अपनी जगह मौजूद है। लेकिन महफूज नहीं है। आज वहां गंगाजल चढाया गया है, मुमकिन है कि कल कोई घृणा से भरा व्यक्ति शाहजहां और मुमताज की कब्रों को तेजाब से नहला आए।
ताज महल किसी के लिए प्रेम का स्मारक है तो किसी कि लिए शोषण का प्रमाण। शकील बदायूनी के लिए ताज सबसे अलग शाहकार है। वे लिखते हैं कि
ताज तेरे लिए इक मजहर-ए-उल्फत ही सही
तुझ को इस वादी-ए-रंगीं से अकीदत ही सही
मेरी महबूब कहीं और मिला कर मुझ से
बज़्म-ए-शाही में गरीबों का गुजर क्या मअ‘नी
सब्त जिस राह में हों सतवत-ए-शाही के निशां
उस पे उल्फत भरी रूहों का सफर क्या मअ‘नी
ये नज्म बहुत लम्बी और मायनीखेज है। काश ताज महल में मकबरों पर गंगाजल चढाने वाले लौंडों (ये अगर की हिन्दी का शब्द है, असंसदीय बिल्कुल नहीं) ने इसे पढा होता। कुलजमा ताज महल को ताज महल ही रहने दिया जाए। वहां यदि कभी शिवजी विराजते होंगे भी तो वे न जाने कब के इस जगह को छोडकर चले गए होंगे। ताज को सियासत की नहीं वक्त की धरोहर समझकर उसका सम्मान किया जाए, उसकी हिफाजत की जाए तो बेहतर है।