वर्तमान की सुख-संपत्ति पूर्व के सत्कर्म का फल है : पुष्पदंत सागर

भिण्ड, 23 मार्च। मानव सेवा पुष्पगिरी तीर्थ प्रणेता देश के विख्यात संत जिन्होंने नेपाल यात्रा करके भारतीय संस्कृति व अहिंसा धर्म का बिगुल बजाया वे आज-कल भिण्ड नगर मे विराजमान है। प्रतिदिन सत्संग के माध्यम से समूचा नगर उनका दर्शन आशीर्वाद लाभ ले रहा है।
सत्संग के सातवे दिन गणाचार्य श्री पुष्पदंत सागर महाराज ने कहा कि संपत्ति सफलता और सद्बुद्धि एक साथ हर किसी को नहीं मिलती। किसी को सिर्फ संपत्ति मिलती है, तो किसी को सफलता, तो किसी को सद्बुद्धि। संसार मे बिरले ही लोग है जिन्हें पूर्ण प्रभु कृपा प्राप्त है और याद रखना जिन्हें भी वर्तमान में सुख, शांति, समृद्धि, सफलता प्राप्त है, निश्चित ही पूर्व जन्म के अच्छे कार्य, दया, परोपकार, सेवा पूजा का फल है। उन्होंने कहा कि यदि सदा की प्रभु कृपा चाहिए तो जीवन में एक बार किसी मन्दिर या परमात्मा की प्रतिमा की स्थापना अपने होशो हवास में अपने हांथों से कर देना, तो स्वयं के सुखद जीवन की व्यस्था हो जाएगी। उन्होंने कहा कि स्वार्थी बनो आत्मा के प्रति, संसार के प्रति स्वार्थी बनोगे तो धोखा खाओगे और स्वयं के लिए आत्मा के लिए परमात्मा के लिए स्वार्थी बनोगे तो सच्चे कहाओगे। संत को स्वार्थी होना आवश्यक है, वशर्ते वह संतत्व के हित का स्वार्थ हो संसार के लिए नहीं।
जीवन में श्रृद्धा का महत्व बताते हुए श्री पुष्पदंत सागर महाराज ने कहा कि जैसे आपकी गाड़ी का पेट्रोल खत्म होता है तो गाड़ी रास्ते मे ही रुक जाती है, ठीक वैसे ही जीवन कि गाड़ी में श्रृद्धा रूपी कम होगा तो जीवन की गाड़ी रुक जाएगी। हमारा जीवन भी एक बीज की भांति है, महत्वपूर्ण बात यह कि बीज का आप उपयोग कैसे करते है, अग्नि में बीज डालोगे तो नष्ट हो जाएगा, उसी बीज को बहुत पानी में डालोगे तो गल जाएगी, पैरों से दबा दोगे चूर-चूर हो जाएगा और अगर उसी बीज को सही भूमि पर सही समय पर सही मिट्टी ने बो दोगे तो बीज बृक्ष बन जाएगा और फल देने लगेगा। जीवन का भी उपयोग कुछ ऐसा ही सार्थक होना चाहिए। जैसे किसी वस्तु को खराब, स्वाद खत्म होने से बचाना होता है तो नष्ट होने से पहले उस वस्तु का सदुपयोग कर उसे आकर देकर मेहनत साकार कर लेते है, वैसे ही जीवन को खत्म होने से पहले जीवन का स्वाद जाने से पहले उसका सदुपयोग कर लो। परमात्मा के प्रति समर्पण देकर सार्थक कर लो। उन्होंने जन मैदनी को संबोधन के अंत में पूज्यश्री ने प्रतिदिन की तरह आज भी एक नियम दिया कि आज जो घर की मां-बहन, पत्नी भोजन दे उस भोजन को शांति पूर्वक संयम पूर्वक, बिना कुछ बोले ग्रहण करना।

सत्संग में आचार्य श्री सौरभ सागर महाराज ने गणाचार्यश्री से पूर्व संबोधित करते हुए कहा कि संत के भीतर भगवंत होते हैं, संत को सच्ची श्रृद्धा से हृदय में बिठाओ, संत से साथ-साथ भगवंत स्वत: ही मिल जाएंगे। उन्होंने कहा कि आगामी पंचकल्याणक का अवसर स्वयं के कल्याण का अवसर है, भगवान की प्रतिष्ठा के बहाने हम गुरुजन तुम्हारी प्रतिष्ठा करना चाहते हैं।
सुबह सत्संग में मंगलचरण शेंकी एण्ड पार्टी फिरोजाबाद ने किया, तो वहीं गुरुदेव का चरण प्रक्षालन विजय कुमार, अजय कुमार जैन परिवार भिण्ड ने किया। गुरु पूजा विराग विशुद्ध बहु मण्डल किला गेट भिण्ड ने स्थानीय और दिल्ली, देहरादून, लखनऊ से आए भक्तों के साथ सम्पादित की। श्री चंदप्रभु पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के पात्रों की पूर्व की क्रियाएं शुरू हुईं, जिसमें किला मन्दिर में भगवान के माता-पिता सुभाष जैन एसबीआई वालों का गोद भराई कार्यक्रम समाजजन ने संपादित किया।