ब्रह्माकुमारी आश्रम टूटा तो प्राण त्याग दूंगा : पंचम सिंह

तानाशाही दिखा कर नियम विरुद्ध आश्रम तोडऩे की दे रहा निकाय

भिण्ड, 01 मार्च। लहार कस्बा क्षेत्र में पुरानी नगर पालिका के पास मैन रोड किनारे बने ब्रह्माकुमारी आश्रम गीता पाठशाला को तोडऩे की नगर परिषद लहार ने तैयारी कर दी है। आश्रम के पीछे जगह में नगर परिषद लहार ने कॉम्प्लेक्स मॉल बनवाया है, जिसे रोड के फ्रंट से जोडऩे के लिए ब्रह्माकुमारी आश्रम को हटाए जाने की कार्रवाई के तहत पूर्व दस्यु सम्राट पंचम सिंह चौहान के नाम नोटिस जारी किया है।
नोटिस में ब्रह्माकुमारी आश्रम के भवन की नीचे की मंजिल में स्थित दुकान नं.184 को तोड़कर स्थानांतरित करने का उल्लेख किया गया है। पंचम सिंह और उनके बेटे संतोष चौहान ने निकाय सीएमओ महेश पुरोहित एवं नप उपाध्यक्ष नरेश सिंह चौहान से चर्चा की तो उन्होंने कहा कि आश्रम निकाय की जगह में है जो हमने सिर्फ तुम्हें किराए पर मुहैया करवाया था। यदि तुम्हें आश्रम चलाने के लिए कॉम्प्लेक्स में से दुकान लेना है तो 12 लाख रुपए जमा करना पड़ेंगे। ब्रह्माकुमारी आश्रम के भवन का सन 1982 में तत्कालीन जिला कलेक्टर की पहल पर दानपत्र का अनुबंध लहार न्यायालय में नियम अनुसार लिखा गया था। जिसमें पार्टी नं.दो नगर पालिका लहार ने गीता पाठशाला भवन को ब्रह्माकुमारी अंतर्राष्ट्रीय संस्था-मुख्यालय मांउट आबू राजस्थान की तत्कालीन मुख्य संचालिका दादी प्रकाश मणी के नाम दानपत्र किया था। संस्था द्वारा 28 अगस्त 1982 को किए गए अनुबंध के अनुसार पंचम सिंह चौहान को ब्रह्माकुमारी शाखा लहार का आजीवन संचालक नियुक्त किया गया था।

कौन हैं पंचम सिंह चौहान

सन 1970 के दशक में चंबल घाटी में अपनी बंदूक के बल पर आतंक का कहर बरपाने वाले पंचम सिंह चौहान उस समय के सबसे बड़े डाकू दल के सरदार थे। पंचम सिंह चौहान पर 100 हत्या, अपहरण, हत्या के प्रयास आदि के करीब तीन सैकड़ा मुकद्दमे दर्ज थे। सरकार ने पंचम सिंह चौहान को जिंदा या मुर्दा पकडऩे पर दो लाख रुपए का इनाम घोषित कर रखा था। गांधीवादी विचारक डॉ. एसएन सुब्बाराव और लोकनायक जयप्रकाश नारायण की पहल पर पंचम सिंह चौहान ने सन 1972 में अपने 555 डाकू साथियों के साथ महात्मा गांधी सेवा आश्रम जौरा जिला मुरैना में सरकार के समक्ष हथियार डालकर आत्म समर्पण किया था। सरकार ने उन्हें खुली जेल मुंगावली में रखा था, जहां ब्रह्माकुमारी आश्रम का सत्संग चलता था। उस सत्संग से जुड़कर पंचम सिंह ब्रह्माकुमारी संस्था के सदस्य बन गए और सन 1980 में जेल से रिहा होने के बाद न्यायालय द्वारा पंचम सिंह चौहान को 100 हत्या के आरोपों में फांसी की सजा भी सुनाई गई थी, जिसे लोक नारायण जयप्रकाश ने तत्कालीन राष्ट्रपति के यहां अपील करके आजीवन कारावास में परिवर्तित करवाया था।