रायसेन, 30 दिसम्बर। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी जिला रायसेन के न्यायालय ने निर्णय पारित कर न्यायालय में मिथ्या साक्ष्य (झूठी गवाही) देने वाली आरोपिया सुशील बाई पत्नी रूपसिंह उम्र लगभग 30 वर्ष निवासी मानपुर थाना कोतवाली रायसेन को दोषसिद्ध पाए जाने पर धारा 193 भादंसं में तीन वर्ष सश्रम कारावास व 500 रुपए जुर्माने से दण्डित किया है। मामले में शासन की ओर से पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी रायसेन श्रीमती शारदा शाक्य ने की।
अभियोजन मीडिया प्रभारी श्रीमती शारदा शाक्य के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि चतुर्थ अपर सत्र न्यायाधीश रायसेन श्रीमती तृप्ति शर्मा द्वारा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रायसेन को पांच जुलाई 2016 को लिखित परिवाद प्रेषित कर लेख किया गया कि उनके न्यायालय के समक्ष थाना कोतवाली जिला रायसेन के अपराध क्र.287/2016 से उद्भूत सत्र प्रकरण क्र.19000368/2016 विचारण हेतु प्राप्त हुआ था। विचारण के दौरान इस प्रकरण की अभियोक्त्री ने विचाराधीन प्रकरण में अपने न्यायालयीन कथन में अभियोजन कथा का समर्थन नहीं किया। प्रकरण से संबंधित प्रथम सूचना रिपोर्ट अभियोक्त्री के लिखित आवेदन 22 अप्रैल 2016 के आधार पर दर्ज की गई थी। उक्त शिकायत एवं प्रथम सूचना रिपोर्ट पर अभियोक्त्री द्वारा अपने हस्ताक्षर होना स्वीकार किया गया, परंतु शिकायत एवं प्रथम सूचना रिपोर्ट की अंर्तवस्तुओं की सत्यता से इंकार किया गया। अन्वेषण के दौरान अभियोक्त्री के कथन धारा 164 दंप्रसं के अंतर्गत तीन मई 2016 को तत्कालीन जेएमएफसी रायसेन पीके सौंधिया द्वारा दर्ज किए गए थे, जिसमें अभियोजन कथा का समर्थन करते हुए शपथ पर कथन किया था। चार जुलाई 2016 को अभियोक्त्री द्वारा शपथ पर दी गई न्यायालयीन साक्ष्य के दौरान अभियोजन कथा का समर्थन नहीं किया, जबकि पूर्व में शपथ पर किए गए धारा 164 दंप्रसं के कथनों में अभियोजन प्रकरण का समर्थन किया है। उक्त परिस्थितियों प्रथम दृष्टया यह दर्शित करती है कि अभियोक्त्री द्वारा शपथ पर किए गए उपरोक्त दोनों कथनों में से एक कथन मिथ्या हैं, तदनुसार अभियोक्त्री द्वारा उसके साथ बलात्संग की घटना घटित होने अथवा घटित न होने संबंधी कोई एक कथन शपथ पर किया गया मिथ्या कथन है। तत्कालीन चतुर्थ अपर सत्र न्यायाधीश द्वारा यह पाए जाने पर कि अभियोक्त्री द्वारा न्यायालयीन कार्रवाई के दौरान जानबूझकर उपरोक्त मिथ्या साक्ष्य दी गई है, तो धारा 195 दंप्रसं के प्रावधानों के अनुसार अभियोक्त्री के विरुद्ध धारा 193 भादंसं के अंतर्गत दण्डनीय अपराध के संबंध में संज्ञान लिया जाकर आगे कार्रवाई किए जाने हेतु लिखित परिवाद तात्कालीन मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रायसेन से समक्ष प्रस्तुत किया।