जहां धर्म होता है वहां विजय निश्चित होती है : धनराज जी

प्राकटोत्सव उत्सव के समय एक लड़ी में पिरोए दिखे स्वयं सेवक

भिण्ड, 26 दिसम्बर। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ लहार के प्रकटोत्सव में बाल स्वयं सेवकों ने उनके माता-पिता के सामने बाल मन पर पड़े अमिट संस्कारों का दर्शन करवाया। कार्यक्रम में मंच पर श्रीश्री 1008 महंत शीतला माता मिहोनी, विभाग संघ संचालक नवल सिंह भदौरिया, नगर संघ संचालक सुरेश गुप्ता, विभाग प्रचारक धनराज जी, जिला कार्यवाह लोकेन्द्र सिंह मौजूद रहे।
इस मौके पर विभाग प्रचारक धनराज जी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना सन 1925 में बलराम हेडगेवार ने की। संघ की स्थापना के समय डॉ. हेडगेवार ने बाल स्वयं सेवकों के साथ की, तब लोग उनके बारे में बोलते थे कि एमबीएस करे हुए डॉक्टर ये बच्चों के साथ कबड्डी खेलकर कहता है, हम देश का कल्याण करेंगे। यहां चार हिन्दू तब इकट्ठे होते हैं, तब कोई उनके कंधे पर होता है, लोग कहते थे कि जिस प्रकार मेढ़क को तराजू में नहीं तोला जा सकता, उसी प्रकार हिन्दू समाज को संगठित करना असंभव कार्य है। लेकिन डॉ. हेडगेवार और उनके साथ चले बाल स्वयं सेवक राष्ट्रभक्ति की भावना से ओत-प्रोत होकर संघ का काम करने लगे, स्वाभिमान शून्य समाज में शक्ति जगाने का कार्य भी स्वयं सेवकों ने किया। आज ये बालक भारत माता की गोद में लोटकर जो खेल खेलता है, उसी से शिवाजी जैसे राष्ट्र भक्त का निर्माण होता है, ये देशभक्ति की भावना उनके मन में ओत-प्रोत होती है।

उन्होंने कहा कि संघ का स्वयं सेवक डरता नहीं, किसी से भारतीय जितने भी खेल सब में अध्यात्म है, कवड्डी खेल ऐसा खेल है जिसमें गीता की सीख है, इसमें श्रीकृष्ण की सीख है, इसमें अर्जुन का अध्यात्म है, देश की सीमाओं की सुरक्षा कैसे की जाती हैं ये संघ का स्वयं सेवक जानता है। उन्होंने कहा कि हम धर्म का कार्य कर रहे हैं, जहां धर्म का काम होता है वहां ईश्वर होता है और जहां ईश्वर होता है वहां विजय ही विजय होती है।
इस मौके पर नगर के गणमान्य नागरिक, बाल स्वयं सेवकों के माता-पिता, अधिकारी-कर्मचारी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कार्यक्रम का सहयोग करने वाले लोग जिन्होंने संघ के लिए समय दिया एवं व्यवस्था में सहयोग किया मौजूद रहे।