बहुचर्चित मामले में मुख्य आरोपी को तिहरा आजीवन एवं केयर टेकर को बीस वर्ष का कठोर कारावास

मामला- बिलाबोंग स्कूल बस में दो अबोध बच्चियों के साथ दुष्कर्म का
न्यायालय ने निर्णय में की अपील- बच्चों के माता-पिता को सजग एवं जागरुक रहें

भोपाल, 12 दिसम्बर। विशेष न्यायालय पॉक्सो जिला भोपाल सुश्री शैलेजा गुप्ता के न्यायालय ने बहुचर्चित बिलाबोंग स्कूल बस में बच्चियों के साथ दुष्कृत्य करने वाले आरोपीगण मुख्य हनुमत पुत्र सुरेश जाटव उम्र 32 वर्ष निवासी शाहपुरा भोपाल को धारा 376(एबी), 376(2)एन भादवि व 5एफएलएम/6 पॉक्सो एक्ट में मृत्यु पर्यंत तक का तिहरा आजीवन कारावास तथा 9 एफएलएम/10 पाक्सो एक्ट में सात-सात वर्ष सश्रम कारावास तथा 354 भादंवि में पांच-पांच वर्ष सश्रम कारावास तथा कुल 32 हजार रुपए का जुर्माना अधिरोपित किया है एवं सहआरोपिया केयर टेकर उर्मिला साहू पत्नी रमेश साहू उम्र 35 वर्ष निवासी कोलार भोपाल को धारा 354, सहपठित धारा 109 भादंवि में दोष सिद्ध कर पांच-पांच वर्ष का सश्रम कारावास तथा 5एफएलएम/6 पॉक्सो एक्ट, सहपठित 16/17 पाक्सो एक्ट में 20-20 वर्ष सश्रम कारावास, धारा 9 एफएलएम/10 पाक्सो एक्ट, सहपठित धारा 16/17 में सात-सात वर्ष सश्रम कारावास और कुल 32 हजार रुपए का जुर्माना अधिरोपित किया है। दोनों आरोपियों पर अधिरोपित जुर्माने की राशि में प्रत्येक पीडि़त बच्ची को 16-16 हजार रुपए प्रतिकर की राशि दिए जाना निर्देश भी न्यायालय ने दिया है।
जनसंपर्क अधिकारी भोपाल संभाग मनोज त्रिपाठी ने बताया कि माननीय न्यायालय ने विशेष टिप्पणी की है कि दोनों ही पीडि़त बच्चियां मात्र साढ़े तीन वर्ष की अत्यंत अल्प आयु की अबोध बालिकाएं है, जिन्होंने अभी अपने जीवन की शुरुआत ही की थी और जीवन के सफर में प्रथम कदम अपने परिवार से बाहर शिक्षा हेतु रखा था, जहां आरोपी हनुमत 32 वर्षीय एवं उर्मिला 35 वर्ष परिपक्त आयु के व्यक्ति होकर उनके ही शैक्षणिक संस्था में कर्मचारी होते हुए विद्यालय की बस में वाहन चालक तथा बच्चों की देख-रेख का काम करते थे, जिन्हें बच्चे बस अंकल और दीदी कहते थे तथा उन पर पूर्ण विश्वास करते थे। बच्चों सुरक्षित घर विद्यालय और विद्यालय से घर लाने ले जाने का उत्तरदायित्व उनका था। पीडि़त बालिकाएं अपनी अल्प आयु के कारण इतनी नासमझ हैं कि न तो उन्हें अच्छे बुरे का ज्ञान है और न ही अपने मनोभावों को व्यक्त करने के लिए पर्याप्त शब्द बच्चों के आचरण से यह प्रकट है, उन्हें नहीं पता कि जिसे वे बस अंकल का प्यार समझ रहे हैं, वह वास्तव में प्यार न होकर उसकी गंदी हवस का शिकार हो रही है। आरोपीगण ने पीडि़त बालिकाओं के प्रति संरक्षकता का दायित्व बोध भूलकर उनके पवित्र वैश्वासिक संबंधों का हनन कर उन्हें अपनी घृणित हवस का शिकार बनाया है। जब पवित्र शैक्षणित संस्थाओं में ही बालिकाओं की सुरक्षा सुरक्षित न हो तो समाज में बलिकाओं/ महिलाओं के स्वतंत्र अस्तित्व विकास की परिकल्पना नहीं की जा सकती तथा आरोपीगण द्वारा किया गया कार्य न केवल गंभीर घृणित प्रकृति का है वरन वह समाज के वैश्वासिक संबंधों को कंलकित करने वाला पैशाचिक आपराधिक कृत्य है। इस कारण से आरोपीगण के प्रति नरम रूख अख्तयार नहीं किया जा सकता।
उक्त प्रकरण में अभियोजन संचालन हेतु कलेक्टर भोपाल द्वारा विशेष लोक अभियोजक श्रीमती मनीषा पटेल को नामांकित किया गया था। श्रीमती पटेल ने उक्त गंभीर प्रकरण अत्यंत सजकता एवं जागरुकता पूर्वक मात्र 14 कार्य दिवस में 32 साक्षियों के कथन पूर्ण कराए तथा सशक्त अंतिम तर्क परिस्थितिजन्य साक्ष्य के संबंध में प्रस्तुत किया था, जिससे सहमत होते हुए विशेष न्यायालय ने आरोपीगण को दोषसिद्ध किया है।
घटना का संक्षिप्त में विवरण इस प्रकार है कि अभियोक्त्री के माता-पिता ने थाना महिला थाना भोपाल में उपस्थित होकर रिपोर्ट लिखवाई कि आठ सितंबर 2022 शुक्रवार को दोपहर करीब 1:30 से 1:45 बजे को जब उनकी साढ़े तीन साल की बच्ची स्कूल से घर वापस आई तब उसका स्कूल यूनिफॉर्म बदला हुआ था, बच्ची की मां ने जब उससे पूछा कि आपका ड्रेस किसने बदला है तो बच्ची ने बताया कि बस वाले अंकल ने बदला है, बच्ची की मां ने उसका स्कूल यूनिफार्म जब बैग में चेक किया तो यूनिफार्म ना ही गंदा था और ना ही गीला। बच्ची का स्कूल यूनिफार्म बिना किसी कारण बस स्कूल ड्राइवर द्वारा बदले जाने की शंका पर बच्ची के माता-पिता ने स्कूल प्रशासन से बात की और उनको घटना के बारे में बताया तब बच्ची की क्लास टीचर ने माता-पिता को बताया कि बच्ची स्कूल से छुट्टी होने के बाद स्कूल यूनिफार्म से ही घर के लिए स्कूल बस से निकली थी, माता-पिता ने स्कूल प्रशासन से बस में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की मांग की तब स्कूल प्रशासन द्वारा माता-पिता को आवश्सन दिया गया कि वे लोग उन्हें एक-दो दिन में बस का फुटेज उपलब्ध करा देंगे और शाम को जब बच्ची के पिताजी ने अपनी बेटी से प्यार से पूछा कि बेटा आपको कोई परेशान करता है, तब बच्ची ने अपने पापा से कहा कि हां बस वाले अंकल मुझे परेशान करते हैं और वह बेड हैं और मुझे बेड टच करते हैं। बच्ची ने अपने पापा को यह भी बताया कि बस अंकल उसे अपनी गोद में बैठाकर उसके प्राईवेट पार्ट को बहुत बार छूते थे और उसके प्राईवेट पार्ट पर फिंगरिंग करते थे, जिससे उसे दर्द होता था, तब बस वाली आंटी उर्मिला दीदी उसे गोद में उठा लेती थीं और उसे चुप करा देती थीं और बस वाले अंकल उसे टॉफी भी देते थे और उसका गला पकड़ कर एवं बाल खीचकर उसे डराते हुए कहते थे कि यह बात किसी को बताई तो तुम्हें मारूंगा। अगले दिन शनिवार को बच्ची को लेने के लिए संबंधित बस में आरोपी बस चालक तथा आरोपी महिला केयर टेकर पुन: सुबह लेने के लिए बच्ची के घर के पास बस स्टॉप पर पहुंचे, परंतु बच्ची के माता-पिता ने बच्ची को स्कूल नहीं भेजा और दोनों स्कूल प्रशासन से मिलकर आरोपी बस ड्राईवर हनुमत तथा महिला केयर टेकर उर्मिला साहू द्वारा कारित घटना की संपूर्ण जानकारी थी, तब प्रशासन ने लीपा-पोतीकर बिना वीडियो फुटेज दिए स्कूल से वापस कर दिया। सोमवार को पुन: वही आरोपीगण दूसरी बस में दो अन्य व्यक्तियों के साथ बच्ची को लेने उसके घर पहुंचे तब बच्ची के माता-पिता ने उसको स्कूल भेजने से इंकार कर दिया तथा पुलिस कमश्निर ऑफिस में जाकर घटना की जानकारी दी थी। प्रकरण में विवेचना के दौरान अन्य बच्ची के माता-पिता ने भी ये बताया कि आरोपी हनुमत ने उनकी बेटी के साथ कई बार गलत काम और अश्लील हरकत की। दूसरी पीडि़त बच्ची तथा उसके माता-पिता के बयान विटनेस प्रोटेशन एक्ट के तहत न्यायालय में कथन पूर्ण कराए गए थे। पुलिस कमश्निर ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एसआईटी गठित की तथा एसआईटी टीम के प्रमुख त्रुत कीर्ति के निर्देशन पर एसीपी निधि सक्सेना एवं महिला थाना प्रभारी अंजना धुर्वे ने 20 दिनों के अंदर मामले में विवेचना पूर्ण कर अभियोग पत्र विशेष न्यायालय में प्रस्तुत किया था।