मानव अधिकारों की संकल्पना सनातन काल से चलती आ रही है : चौधरी

मानवाधिकार दिवस पर हम फाउण्डेशन द्वारा कार्यक्रम आयोजित

भिण्ड, 10 दिसम्बर। भारत में मानव अधिकारों की संकल्पना सनातन काल से चली आ रही है, हमारी ऋषि परंपरा में वसुदेव कुंटबकम एवं सर्वे भवंतू सुखिन: के घोष के साथ मानव अधिकारों को मान्यता दी गई है। संयुक्त राष्ट्र संघ के अतिरिक्त भारत में मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 के अंतर्गत राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर आयोग का गठन कर मानवाधिकार का संरक्षण किया जा रहा है। यह बात हम फाउण्डेशन भिण्ड द्वारा स्थानीय सरमन सिंह उमावि में मानव अधिकार दिवस के अवसर पर भिण्ड न्यायालय के अधिवक्ता महेन्द्र चौधरी ने मुख्य अतिथि की आसंदी से कही। कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में प्रो. इकबाल अली एवं अध्यक्षता प्रो. रामानंद रामानंद शर्मा ने की। इस अवसर पर जिला अध्यक्ष शैलेश सक्सेना, शाखा अध्यक्ष अरविंद सिंह भदौरिया, योगेश शर्मा सहित छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
कार्यक्रम में प्रो. इकबाल अली ने अधिकारों के साथ कर्तव्य की महत्ता पर प्रकाश डाला। साथ ही तीन मूलभूत मानव अधिकारों, जीवन जीने का अधिकार एवं आश्रम पाने का अधिकार पर जानकारी दी तथा संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा प्रवर्तित मानव अधिकारों का इतिहास संक्षिप्त रूप से बताया। अध्यक्षीय उदबोधन में प्रो. रामानंद शर्मा ने भारतीय समाज में मानव अधिकारों की प्रासंगिकता बताते हुए सनातन धर्म के सिद्धांतों की व्याख्या की। उन्होंने शिक्षा दूसरों के साथ ऐसा व्यवहार ना करें, जैसा आप स्वयं के साथ नहीं चाहते एवं हम सुधरेंगे, युग सुधरेगा को रेखांकित किया। कार्यक्रम में शैलेश सक्सेना ने मानव अधिकार पर विचार व्यक्त किए।