भागवत कथा के श्रवण से मनुष्य जीवन मृत्यु के संकट से मुक्त होता है : पीयूष शास्त्री

भिण्ड, 07 मई। अटेर तहसील के ग्राम मिहोनी में श्री चिंताहरण बाल सिद्ध हनुमान मन्दिर शाला पर श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन शनिवार को कथा वाचक बाल व्यास पं. पीयूष समाधिया शास्त्री महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत ग्रंथ शुकदेव के श्रीमुख से उद्गीत हुआ। यह ग्रंथ जन्म व मृत्यु के भय का नाश कर देता है। भक्ति के प्रवाह को बढ़ाता है व भगवान श्रीकृष्ण की प्रसन्नाता का प्रधान साधन है। मन की शुद्धि के लिए श्रीमद् भागवत से बढ़कर कोई साधन नहीं है। यह कथा देवताओं को भी दुर्लभ है तभी राजा परीक्षित की सभा में शुकदेव ने कथामृत के बदले में अमृत कलश नहीं लिया। ब्रह्माजी ने सत्यलोक में तराजू बांध कर जब सब साधनों, व्रत, यज्ञ, ध्यान, तप, मूर्ति पूजा आदि को तोला तो सभी साधन तोल में हल्के पड़ गए और अपने महत्व के कारण भागवत ग्रंथ ही सबसे भारी रहा।