आखिर कब होगा गोहद की जनता का कण्ठ गीला

करोड़ों खर्च के बाद भी नहीं बुझी प्यास

भिण्ड, 05 मई। जिले का व्यापारिक नगर गोहद की एक लाख से अधिक आबादी को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए इटायली पेयजल योजना, बसारा पेयजल योजना बनी, लेकिन वो भ्रष्टाचार की भेंट चड़ गई। एक लाख आबादी का कण्ठ गीला नहीं कर सकी, वैसे तो गोहद में पेयजल का संकट हर समय विद्यमान रहता है। लेकिन ग्रीष्म ऋतु में यह संकट भीषण रूप धारण कर लेता है।
गोहद नगर की पेयजल आपूर्ति का एकमात्र स्त्रोत वेसली जलाशय है, जिससे नगर के 15 वार्डों में पेयजल सप्लाई किया जाता है, शेष तीन वार्डों को भगवान भरोसे छोड़ दिया जाता है। गोहद नगरीय क्षेत्र में 600 हैण्डपंप हैं, जिसमें से 150 हैण्डपंप चालू हालत में है, इसके अलावा गोहद नगर में पेयजल परिवहन से पेयजल सप्लाई किया जाता है, जो नगर पालिका का कमाई का जरिया है। गोहद विधानसभा उपचुनाव में 118 करोड़ की जलावर्धन योजना स्वीकृति की गई है, जिसके तहत पिलुआ जलाशय की गोहद नगर को पाइप लाइन द्वारा पेयजल आपूर्ति की जाएगी। गोहद नगर में सात टंकियों का निर्माण किया जाएगा तथा 2031 की आवादी के हिसाब से फिल्टर प्लांट का निर्माण कर नवीन पाइप लाइन बिछाई जाकर कनेक्शन वितरित किया जाएगा।
गोहद नगर पेयजल समस्या आजादी के बाद से विधमान है, पेयजल की समस्या समाधान के लिए हर बार चुनाव में मुद्दा बना, हर बार आश्वासन की बौछर से जनता को भिगोया गया, लेकिन गोहद की जनता का कण्ठ गीला नहीं हुआ। गोहद नगर की जनता की पेयजल समस्या निराकरण के लिए सर्वप्रथम इटायली पेयजल योजना स्वीकृत की गई, जिसके तहत इटायली गांव में सात बोर किए गए। लेकिन लापरवाही का इससे बड़ा क्या उदाहरण होगा कि बोर ही खो गए और यह योजना यथार्थ के धरातल पर पानी उपलब्ध नहीं करा सकी। इसके बाद बसार पेयजल योजना स्वीकृत की गई, जिसके तहत बसरा गांव से पाइप लाइन से फिल्टर प्लांट तक पानी लाना था। लेकिन घटिया किस्म के पाइप लाइन उपयोग में लिए गए कि वो पानी के दवाब भी नहीं झेल सके और फूट गए। गोहद नगर की पेयजल व्यवस्था पूर्ण रूप से वेसली जलाशय पर पर निर्भर है। जिसकी देख-रेख का जिम्मा जल संसाधन विभाग का है। लेकिन समय-समय पर जलाशय की सफाई न होने से गहरी शिल्ट जमने से जलाशय की भण्डारण क्षमता कम हो गई, जिसके चलते गोहद नगर में भीषण पेयजल संकट विद्यमान हो गया है। गोहद नगर पालिका द्वारा परिवहन से भी पेयजल आपूर्ति की जाती है, लेकिन यह व्यवस्था स्थाई हल नहीं है।