ईश्वर की पहचान के लिए ज्ञान का प्रकाश जरूरी : शास्त्री

दंदरौआ धाम में भागवत कथा के दौरान हो रहे हैं प्रवचन

भिण्ड, 11 अप्रैल। इस संसार मे जिस समय व्यक्ति ज्ञान के प्रकाश उत्पन्न हो जाता है, तब मनुष्य को पता चलता है कि संसार तो झूठा है, ईश्वर ही सत्य है। ईश्वर की पहचान के लिए ज्ञान के प्रकाश का होना आवश्यक है, इसलिए मनुष्य को चाहिए शास्त्रों की शरण में रहे। यह उद्गार श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव के अवसर पर कथा वाचक पं. रामस्वरूप शास्त्री ने प्रवचन करते हुए व्यक्त किए। कथा श्रीश्री 1008 महामण्डलेश्वर मंहत रामदास जी महाराज के सानिध्य में आयोजन हो रहा है।
शास्त्री जी ने कहा कि पिता की देख-रेख में बच्चा विद्वान बनता है, लेकिन माता की देख-रेख में बच्चा चरित्रवान बनता है, इसलिए ऐसी माता पूज्यनीय, वंदनीय होती है, जिसका बच्चा चरित्रवान होता है। मजदूर को आप मजदूरी पसीना सूखने से पहले अगर नहीं देते हैं तो उसकी मजदूरी अदा करने में लगे हुए समय में मनुष्य के पुण्य क्षीण होते जाते हैं। कथा के मुख्य यजमान एवं कथा पारीक्षत श्रीमती नारायणी देवी-नरसी भगत है। भागवत कथा दोपहर दो बजे से शाम पांच बजे तक और सुबह 10 बजे से दोपहर दो बजे तक रामलीला का मंचन किया जा रहा है। रामलीला में भगवान श्रीराम द्वारा ताड़का बध की लीला का मंचन किया गया। इस अवसर पर रामबरन पुजारी, सीताराम शिवहरे, उमेश शिवहरे, पवन शास्त्री, जलज त्रिपाठी, कैलाश नारायण, श्यामसुंदर, रॉकी, अखिलेश, मिच्चू बाबा, नारायण व्यास सहित श्रृद्धालुजन उपस्थित रहे।