देश में श्रीलंका जैसे हालात पैदा कर रही है मोदी सरकार : डॉ. भारद्वाज

भिण्ड, 03 अप्रैल। आर्थिक तबाही का क्या अंजाम होता है ये डूबते बैंकों और लुटता खजाना आपको भी ऐसे दिन दिखा सकता है। जो हालत आज पड़ोसी देश श्रीलंका में नजर आ रहे हैं। जहां एक कप चाय भी 100 रुपए और पेट्रोल डीजल 500 के पार है। यही हालत बैंकों के निजीकरण कर देश के सामने केन्द्र की मोदी सरकार लाने में तुली है। यह आरोप मप्र कांग्रेस मीडिया के प्रतिनिधि और भिण्ड जिला कांग्रेस के प्रवक्ता डॉ. अनिल भारद्वाज ने कही।
कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. अनिल भारद्वाज ने कहा कि मुनाफा कमा रहे राष्ट्रीय उपक्रमों को निजी हाथों में बेचने की नीति का बेरोजगारी और महंगाई पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है। केन्द्र सरकार की इस नीति को मोडानीकरण कहना चाहिए, क्योंकि जहां एक तरफ मुनाफे का निजीकरण हो रहा है, वहीं घाटे का राष्ट्रीयकरण भी चल रहा है। उन्होंने कहा पिछले सात वर्षों से राष्ट्रीय संपत्तियों को सरकार अपने कारपोरेट मित्रों को बेच रही हैं, इसका असर अब दिखने लगा है। बड़े पैमाने पर बैंकों में पद रिक्त होने के बावजूद सरकार इन पर नियुक्ति नहीं कर रही। इन पदों पर भर्ती करने का सीधा प्रभाव आम जनता को मिलने वाली सेवाओं पर पड़ता है। बड़े दुर्भाग्य की बात है कि सरकार अपनी ही नाकामी का बहाना बनाकर बैंकों को बेचना चाहती है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि इन रिक्त पदों को भरकर राष्ट्रीयकृत बैंकों को और मजबूत बनाए ताकि आम लोगों की गाढ़ी कमाई सुरक्षित रह सके। सरकारी नौकरियों की मांग कर रहे युवाओं को सरकारी उपक्रम बेचे जाने का विरोध करना ही होगा, क्योंकि अगर सरकारी उपक्रम नहीं होंगे तो नौकरियां कहां से मिलेंगी। सरकार का मकसद फायदा कमाना नहीं होता बल्कि जनता की सेवा, गरीबों को आर्थिक सुरक्षा और जनकल्याण कार्यों को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाना होता है। इसके बावजूद निजीकरण देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर करेगा। इसलिए यह मुद्दा किसी राजनीतिक दल या विपक्ष का नहीं बल्कि आम नागरिकों का भी है। विशेषकर गरीब, मध्यम वर्ग और युवाओं के लिए तो यह गंभीर मुद्दा है। हमे इसका खुलकर विरोध करना चाहिए।